allahabad paryatan sthal: प्रयागराज, जिसे पहले इलाहाबाद (Allahabad) के नाम से जाना जाता था, भारत के उत्तर प्रदेश राज्य का एक ऐतिहासिक और धार्मिक नगरी है।यह शहर तीन नदियों – गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती – के संगम पर बसा है, जिसे “त्रिवेणी संगम” कहा जाता है, जो इसे आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण बनाता है। यह संगम स्थान हिंदुओं के लिए अत्यंत पवित्र माना जाता है। यह शहर भारत के सबसे प्राचीन और पवित्र नगरों में से एक माना जाता है। यह धार्मिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। प्राचीन समय में इसे प्रयाग कहा जाता था, जिसका अर्थ है “यज्ञों की भूमि”। मुग़ल सम्राट अकबर ने इसे “इलाहाबाद” नाम दिया, जिसका अर्थ है “ईश्वर का शहर” (City of God)। वर्ष 2018 में इसका नाम पुनः प्रयागराज रख दिया गया, जिससे इसकी ऐतिहासिक और धार्मिक पहचान को पुनः मान्यता मिली।

प्रयागराज उत्तर प्रदेश के पूर्वी भाग में स्थित है। प्रयागराज में हर 12 वर्षों में विश्व प्रसिद्ध कुंभ मेला लगता है, जिसमें करोड़ों श्रद्धालु स्नान करने आते हैं। अर्धकुंभ मेला हर 6 वर्षों में होता है। यहाँ पातालपुरी मंदिर, हनुमान मंदिर, और भारद्वाज आश्रम जैसे कई धार्मिक स्थल हैं।
मुगल और ब्रिटिश काल दोनों में यह शहर एक प्रमुख प्रशासनिक केंद्र रहा है। इलाहाबाद किला अकबर द्वारा बनवाया गया था और आज भी यहाँ इतिहास की झलक मिलती है। आनंद भवन, नेहरू परिवार का आवास रहा है, जो अब एक संग्रहालय है।
प्रयागराज को शिक्षा नगरी भी कहा जाता है। यहाँ का इलाहाबाद विश्वविद्यालय देश के सबसे पुराने और प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में से एक है। यह शहर IAS और PCS की तैयारी करने वाले छात्रों के लिए भी जाना जाता है। प्रयागराज आज भी अपने ऐतिहासिक और धार्मिक स्वरूप के साथ-साथ तेजी से आधुनिकता की ओर बढ़ रहा शहर है। यहाँ सड़क, रेल और हवाई सेवाओं की अच्छी सुविधा है। नए पुल, स्मार्ट सिटी परियोजनाएं, और बढ़ते इंफ्रास्ट्रक्चर इसे उत्तर प्रदेश के प्रमुख शहरों में शामिल करते हैं। प्रयागराज की पहचान त्रिवेणी संगम का शहर, कुंभ और आध्यात्मिकता का केंद्र, स्वतंत्रता संग्राम की धरोहर, और शिक्षा और संस्कृति का संगम है |
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Top 10 Allahabad Paryatan Sthal
1. त्रिवेणी संगम (Triveni Sangam)(allahabad paryatan sthal)

allahabad paryatan sthal: त्रिवेणी संगम, प्रयागराज (इलाहाबाद) में बसा एक अत्यंत पवित्र और ऐतिहासिक स्थल है जहाँ तीन नदियाँ – गंगा, यमुना, और सरस्वती – एक साथ मिलती हैं। यह स्थान भारत के सबसे धार्मिक स्थलों में से एक माना जाता है और यहां पर लाखों श्रद्धालु हर वर्ष दर्शन और स्नान के लिए आते हैं। यह प्रयागराज (इलाहाबाद), उत्तर प्रदेश में बसा है | यह संगम शहर के दक्षिणी छोर पर स्थित है, जहाँ गंगा और यमुना नदियाँ दृश्य रूप में मिलती हैं और सरस्वती नदी अदृश्य रूप में सम्मिलित मानी जाती है। गंगा नदी: पवित्रतम मानी जाने वाली नदी, हिमालय से निकलकर बंगाल की खाड़ी तक जाती है। यमुना नदी: यमुनोत्री से निकलने वाली, शांत और गहरे नीले रंग की नदी। सरस्वती नदी: अदृश्य नदी मानी जाती है जो केवल धार्मिक ग्रंथों में वर्णित है, परंतु मान्यता है कि यह भी संगम में मिलती है। सरस्वती नदी: अदृश्य नदी मानी जाती है जो केवल धार्मिक ग्रंथों में वर्णित है, परंतु मान्यता है कि यह भी संगम में मिलती है। महाभारत और रामायण जैसे ग्रंथों में संगम का उल्लेख मिलता है | श्राद्ध और पिंडदान के लिए यह स्थान अत्यंत शुभ माना जाता है। कुंभ मेला और अर्धकुंभ का आयोजन इसी स्थान पर होता है, जो दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक मेला है। सूर्योदय के समय स्नान करना सबसे शुभ माना जाता है। पंडितों की मदद से आप पूजा, पिंडदान और श्राद्ध कर्म कर सकते हैं। संगम तक जाने के लिए नाव से यात्रा करनी पड़ती है। नाव से गंगा और यमुना के जल के मिलन को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। संगम का नज़ारा फोटोग्राफी के लिए बेहतरीन होता है, खासकर शाम के समय। यहाँ पर लेटे हुए हनुमान मंदिर (Laying Hanuman Temple), पातालपुरी मंदिर (इलाहाबाद किले के भीतर), और अक्षयवट वृक्ष – पौराणिक मान्यता के अनुसार यह कभी नाश नहीं होता है | माघ मेला: हर वर्ष मकर संक्रांति से लेकर महाशिवरात्रि तक लगता है।
कैसे पहुँचे त्रिवेणी संगम?
रेलवे स्टेशन: प्रयागराज जंक्शन / प्रयागराज संगम स्टेशन से टैक्सी या ऑटो से पहुँचा जा सकता है।
हवाई अड्डा: प्रयागराज एयरपोर्ट (बमरौली)
स्थानीय यातायात: ऑटो, टैक्सी, ई-रिक्शा
2. इलाहाबाद किला (Allahabad Fort)(allahabad paryatan sthal)

इलाहाबाद किला, प्रयागराज (पहले इलाहाबाद) का सबसे प्रमुख ऐतिहासिक स्थल है। यह किला गंगा और यमुना नदियों के संगम के पास स्थित है और मुगल काल की उत्कृष्ट वास्तुकला का प्रतीक है। यह न केवल स्थापत्य दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसका धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी गहरा है। यह त्रिवेणी संगम के पास, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश में है | गंगा नदी के तट पर है | इसको बनाने वाले मुगल सम्राट अकबर है | यह 1583 ईस्वी में बना था | अकबर ने इसे धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण स्थल संगम तट पर बनवाया, ताकि उसका नियंत्रण धार्मिक, सामरिक और व्यापारिक दृष्टि से मजबूत हो जाए | यह किला मुग़ल वास्तुकला का बेहतरीन उदाहरण है, जिसमें सुंदर दरवाज़े, बुर्ज, खंदक और विशाल दीवारें हैं। किले में विशाल प्रांगण, संगमरमर की नक्काशी, और लाल बलुआ पत्थर से बनी संरचनाएँ देखने लायक हैं। इसमें तीन विशाल द्वार (गेट) हैं, और किले के चारों ओर मजबूत परकोटा (दीवार) है। सुबह 7:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक (केवल खुले हिस्से) खुला रहता है |
कुछ हिस्सों के लिए प्रवेश नि:शुल्क, जबकि विशेष दर्शनों के लिए मामूली शुल्क हो सकता है| पहचान पत्र जरूरी हो सकता है (सेना का क्षेत्र होने के कारण) |
क्या देखें इलाहाबाद किले में?
देखने योग्य स्थल | विवरण |
---|---|
अक्षयवट वृक्ष | अमर वृक्ष, धार्मिक महत्व |
पातालपुरी मंदिर | भूमिगत मंदिर, प्राचीनता |
संगम दृश्य | किले से संगम का सुंदर नज़ारा |
मुगल वास्तुकला | गेट, बुर्ज और नक्काशीदार दीवारें |
कैसे पहुँचे?
रेलवे स्टेशन: प्रयागराज जंक्शन से लगभग 6-7 किमी
बाय रोड: शहर में टैक्सी, ई-रिक्शा और ऑटो से आसानी से पहुँचा जा सकता है
3. हनुमान मंदिर (Laying Hanuman Temple)(allahabad paryatan sthal)

allahabad paryatan sthal: प्रयागराज (इलाहाबाद) में स्थित लेटे हुए हनुमान मंदिर (Laying Hanuman Temple) एक अत्यंत प्रसिद्ध और अद्वितीय मंदिर है। यह भारत का एकमात्र मंदिर है जहाँ भगवान हनुमान लेटे हुए मुद्रा (शयन अवस्था) में विराजमान हैं। संगम तट के पास स्थित यह मंदिर श्रद्धालुओं और पर्यटकों दोनों के लिए आकर्षण का केंद्र है। यह त्रिवेणी संगम के पास, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश में बसा है | मान्यता है कि यह मंदिर मुगल काल से पूर्व अस्तित्व में आ गया था। मूर्ति लगभग 20 फीट लंबी है और जमीन पर लेटी हुई अवस्था में है। मूर्ति को सिंदूर से ढंका गया है और भगवान के चेहरे पर अत्यंत शांत भाव हैं। यह मूर्ति शास्त्रों के अनुसार वह क्षण दर्शाती है जब: हनुमान जी ने लंका विजय के बाद विश्राम किया। एक प्रचलित मान्यता है कि जब भी गंगा में बाढ़ आती है, तो सबसे पहले पानी हनुमान जी की मूर्ति को डुबोता है। श्रद्धालु मानते हैं कि यह संकेत होता है कि गंगा माता पहले हनुमान जी से अनुमति लेकर शहर में प्रवेश करती हैं।
कैसे पहुँचे?
रेलवे स्टेशन: प्रयागराज जंक्शन से लगभग 7 किमी दूर
ऑटो / ई-रिक्शा / टैक्सी द्वारा संगम तट के पास आसानी से पहुँचा जा सकता है
4. आनंद भवन (Anand Bhavan)(allahabad paryatan sthal)

आनंद भवन भारत के स्वतंत्रता संग्राम का एक जीवंत स्मारक है। यह प्रयागराज (पूर्व में इलाहाबाद) में स्थित है और नेहरू-गांधी परिवार का पैतृक निवास रहा है। आज यह एक संग्रहालय (museum) के रूप में स्थापित है, जो भारत के इतिहास, स्वतंत्रता संग्राम और नेहरू परिवार की विरासत के बारे में बताता है। यह आनंद भवन रोड, सिविल लाइंस, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश में है | इसके निकटतम स्थल: अल्फ्रेड पार्क (आजाद पार्क), इलाहाबाद विश्वविद्यालय, इलाहाबाद जंक्शन है | आनंद भवन का निर्माण मोतीलाल नेहरू ने करवाया था। यहाँ पर महात्मा गांधी, सरदार पटेल, नेताजी सुभाष चंद्र बोस आदि नेताओं की भी बैठकें हुईं।
प्रवेश शुल्क और समय
विवरण | जानकारी |
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समय | सुबह 9:30 बजे – शाम 5:00 बजे (सोमवार बंद) |
टिकट शुल्क | ₹20 – ₹100 तक (वयस्क / बच्चों / तारामंडल शो के अनुसार) |
ऑडियो गाइड | कुछ हिस्सों में उपलब्ध |
कैसे पहुँचे?
रेलवे स्टेशन: प्रयागराज जंक्शन से लगभग 4-5 किमी
एयरपोर्ट: प्रयागराज एयरपोर्ट (12-13 किमी)
स्थानीय यातायात: ई-रिक्शा, टैक्सी, ऑटो आसानी से उपलब्ध
5. अल्फ्रेड पार्क / चंद्रशेखर आज़ाद पार्क
यह पार्क उस ऐतिहासिक स्थान के रूप में जाना जाता है जहाँ क्रांतिकारी चंद्रशेखर आज़ाद ने ब्रिटिश पुलिस से संघर्ष करते हुए बलिदान दिया था। यह सिविल लाइंस के पास में है | यहाँ का मुख्य आकर्षण आज़ाद की प्रतिमा, हरियाली, शांत वातावरण है |
6. खुसरो बाग (Khusro Bagh)(allahabad paryatan sthal)
यह एक सुंदर मुगल शैली का बाग और मकबरा परिसर है, जहाँ सम्राट जहांगीर के पुत्र खुसरो मिर्जा और अन्य शाही व्यक्तियों की कब्रें स्थित हैं। यह प्रयागराज रेलवे स्टेशन के पास बसा है | यहाँ का मुख्य आकर्षण मुगल वास्तुकला, ऐतिहासिक महत्व है |
7. श्रृंगवेरपुर (Shringverpur)
मान्यता है कि यही वह स्थान है जहाँ श्रीराम ने गंगा पार की थी और निषादराज से भेंट की थी। यह धार्मिक और पुरातात्विक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण स्थल है। यह स्थान प्रयागराज से 35 किमी दूर है | यहाँ का मुख्य आकर्षण रामायण से जुड़ी कहानियाँ, गंगा दर्शन है |
8. भारद्वाज आश्रम (Bharadwaj Ashram)
यह आश्रम वैदिक युग के महान ऋषि भारद्वाज का था। यहाँ वेद, आयुर्वेद और ज्योतिष का अध्ययन होता था। यह स्थान ध्यान और शांति के लिए आदर्श है। यह स्थान झूंसी क्षेत्र में है | यहाँ का मुख्य आकर्षण ध्यान स्थल, आध्यात्मिक वातावरण है |
9. नैनी ब्रिज (Naini Bridge)
allahabad paryatan sthal: गंगा नदी पर बना यह पुल इलाहाबाद और नैनी को जोड़ता है। शाम के समय यहाँ से सूर्यास्त का नज़ारा बेहद खूबसूरत होता है। यह स्थान गंगा नदी के ऊपर है | यहाँ का मुख्य आकर्षण वॉकवे, और फोटोग्राफी है |
10. ऑल सेंट्स कैथेड्रल (All Saints Cathedral)
इसे ‘पत्थर की गिरजाघर’ भी कहा जाता है। यह अंग्रेजों द्वारा बनाई गई एक भव्य गोथिक शैली की चर्च है, जो अब भी पूरी भव्यता से खड़ी है। यह स्थान सिविल लाइंस में है | यहाँ का मुख्य आकर्षण स्थापत्य, और क्रिसमस समारोह है |
Allahabad ka bhojan
allahabad paryatan sthal: Allahabad (जो अब प्रयागराज कहलाता है) का खाना उत्तर भारत की पारंपरिक और स्थानीय अवधी और पूर्वांचली व्यंजनों का एक बेहतरीन मिश्रण होता है। यहाँ का खाना स्वाद में भी ज़बरदस्त होता है और खास बात ये है कि कई डिशेस आपको सिर्फ यहीं की गलियों में असली स्वाद के साथ मिलेंगी। जैसे की लोकप्रिय स्ट्रीट फूड्स: छाट (Chaat): अल्हाबादी चाट, कचौरी-जलेबी, समोसा और नमकीन और गोलगप्पे (पानी पुरी) | यहाँ का स्थानीय व्यंजन (Traditional Bhojan) : तेहरी / पुलाव, लिट्टी-चोखा, सब्ज़ी-पूड़ी और आलू-टमाटर की सब्ज़ी और दाल-बाटी है | यहाँ की मिठाइयाँ गुलाब जामुन, रसगुल्ला, और कलाकंद और मालपुआ और खीर मोहन है |
Allahabad (Prayagraj) pahuchne ka transportation aur restaurant (khana) budget
Category | Option | Cost (INR) | Remarks |
---|---|---|---|
Transportation | Train (Sleeper Class) | 300 – 500 | Budget-friendly, needs prior booking |
Train (3AC) | 800 – 1,200 | Comfortable, mid-range option | |
Bus (Non-AC/AC) | 400 – 1,000 | Depends on city of origin and bus service | |
Flight (Economy) | 2,000 – 6,000 | From major cities (Delhi, Mumbai, Kolkata etc.) | |
Local Transport | Auto/Rickshaw | 100 – 300 | For short distances inside city |
App-based Taxi (Ola/Uber etc.) | 200 – 500 | For longer city rides or station-hotel transfers | |
Restaurants | Local Dhaba/Street Food | 100 – 200/day | Budget meals: poori-sabzi, chaat, samosa, etc. |
Mid-range Restaurant | 300 – 600/day | Thali, biryani, north Indian meals | |
High-end Restaurant | 800 – 1,500/day | Includes beverages, multiple-course meals, etc. |
Sample Budget Estimates (Per Day):
- Budget Traveler: ₹700 – ₹1,000
- Comfort Traveler: ₹1,500 – ₹3,000
- Luxury Traveler: ₹4,000+
निष्कर्ष (Conclusion)
प्रयागराज सिर्फ एक धार्मिक स्थल ही नहीं, बल्कि ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और प्राकृतिक रूप से भी बेहद समृद्ध शहर है। अगर आप उत्तर भारत की यात्रा की योजना बना रहे हैं, तो यह टॉप 10 इलाहाबाद पर्यटक स्थल आपकी यात्रा में चार चाँद लगा सकते हैं।
FAQ
प्रयागराज में किन जगहों पर प्राकृतिक सुंदरता देखने को मिलती है?
Ans. प्रयागराज और उसके आसपास प्राकृतिक सुंदरता का आनंद लेने के लिए कई अद्भुत स्थल मौजूद हैं। यहां की नदियों, झीलों, बाग-बगिचों और झरनों में प्रकृति का अनूठा सौंदर्य देखने को मिलता है। नीचे प्रयागराज में और उसके नजदीक प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर कुछ प्रमुख जगहों की सूची दी गई है:
त्रिवेणी संगम
गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती का संगम स्थल न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यहां का नदी किनारा, शांत जल और सूर्यास्त-सूर्योदय के दृश्य भी पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देते हैं। नाव की सवारी करते हुए आसपास के प्राकृतिक दृश्य का आनंद लेना एक अलग ही अनुभव है।
छिवकी झील
प्रयागराज से लगभग 20-25 किलोमीटर दूर स्थित यह झील हरियाली और पक्षियों की चहचहाहट से भरपूर है।
श्रृंगवेरपुर धाम
गंगा नदी के किनारे बसा यह ऐतिहासिक स्थल प्रकृति प्रेमियों के लिए बेहद आकर्षक है। यहां का शांत वातावरण, हरियाली और नदी का किनारा प्राकृतिक सौंदर्य का अद्भुत संगम प्रस्तुत करता है।
मिंटो पार्क (मदन मोहन मालवीय पार्क)
अल्फ्रेड पार्क (चंद्रशेखर आजाद पार्क)
खुसरो बाग
केवटी जलप्रपात (Kewti Waterfall)
विंडम जलप्रपात (Windom Waterfall)
लखनिया दरी जलप्रपात
सीधी फॉल