allahabad travel places: प्रयागराज, जिसे पहले इलाहाबाद के नाम से जाना जाता था, उत्तर प्रदेश का एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर से भरपूर शहर है। यहाँ की गलियाँ, घाट, किले और मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक हैं, बल्कि भारतीय इतिहास और संस्कृति के भी जीवित उदाहरण हैं। इस ब्लॉग में हम आपको बताएंगे प्रयागराज के 10 सबसे बेहतरीन पर्यटन स्थलों के बारे में, जो न केवल आपके दिल को छू लेंगे, बल्कि आपके यात्रा अनुभव को भी अविस्मरणीय बना देंगे।
1. त्रिवेणी संगम – आत्मिक शांति का अनुभव(allahabad travel places)

तीन पवित्र नदियों – गंगा, यमुना और सरस्वती – के संगम पर स्थित यह जगह आध्यात्मिक और प्राकृतिक सुंदरता का अद्भुत संगम है। यहाँ एक डुबकी लगाना पुण्य माना जाता है, खासकर कुंभ मेले के समय। यहाँ स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और लाखों श्रद्धालु यहाँ आकर आस्था की डुबकी लगाते हैं। कुम्भ मेला, अर्धकुम्भ मेला और माघ मेला जैसे धार्मिक मेले इसी संगम पर आयोजित होते हैं। पितृ तर्पण और श्राद्ध कर्म के लिए यह स्थल सर्वोत्तम माना गया है। प्रयागराज को प्राचीन काल में ‘प्रयाग’ कहा जाता था, जिसका अर्थ होता है ‘यज्ञों की भूमि’। यहाँ पर संगम मार्ग के स्ट्रीट फूड स्टॉल्स पर कचौड़ी-जलेबी, लोकल चाट भंडार पर आलू टिकिया, रामबाग और संगम के पास ठंडई और लोकल ढाबों और रेस्टोरेंट्स में शुद्ध शाकाहारी थाली मिल जाती है |
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कैसे पहुंचें?
साधन | विवरण |
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रेल मार्ग | प्रयागराज जंक्शन स्टेशन से 7-8 किमी |
हवाई मार्ग | प्रयागराज एयरपोर्ट से 15 किमी |
सड़क मार्ग | किसी भी शहर से बस/टैक्सी द्वारा सीधी पहुँच |
2. इलाहाबाद किला (Allahabad Fort) – इतिहास और रहस्य से भरा एक मुगलकालीन धरोहर
allahabad travel places: मुगल सम्राट अकबर द्वारा 1583 में निर्मित यह किला यमुना नदी के किनारे स्थित है। यह किला भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा राष्ट्रीय महत्व के स्मारक के रूप में वर्गीकृत है। किले के भीतर अशोक स्तंभ और अकबर के समय की वास्तुकला पर्यटकों को आकर्षित करती है। इसे “इलाहबास” (अर्थ: ईश्वर का घर) नाम दिया गया, जो बाद में ‘इलाहाबाद’ और फिर ‘प्रयागराज’ बन गया। इसमें विशाल द्वार, बुर्ज़ (watch towers), प्राचीर, और गुप्त सुरंगें हैं। किला मुख्य रूप से लाल बलुआ पत्थर से निर्मित है। यहाँ का व्यंजन सिविल लाइंस, किले के बाहर लोकल स्टॉल्स पर छोले भटूरे, संगम मार्ग पर ठंडई और कचौड़ी और पुराने शहर के मिष्ठान्न भंडारों में मिष्ठान्न (गुलाब जामुन, रसगुल्ला) मिल जाता है |
कैसे पहुंचें? (allahabad travel places)
साधन | विवरण |
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रेल मार्ग | प्रयागराज जंक्शन से 6 किमी दूरी पर |
बस/टैक्सी | शहर के किसी भी कोने से टैक्सी/ऑटो से आसानी से पहुँच |
हवाई मार्ग | प्रयागराज एयरपोर्ट से 13 किमी दूर |
3. खुसरो बाग (Khusro Bagh), प्रयागराज – मुग़ल वास्तुकला और इतिहास का शांत स्थल (allahabad travel places)
यह बाग मुग़ल सम्राट जहाँगीर के बेटे खुसरो मिर्जा और उनकी माँ शाह बेगम की समाधियों के लिए प्रसिद्ध है। यह स्थल मुग़ल वास्तुकला का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत करता है। यहाँ की शांतिपूर्ण वातावरण और ऐतिहासिक महत्व पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। यहां आने वाले लोग इसे एक “हिस्टोरिकल पार्क” के रूप में पसंद करते हैं। यह एक चार बाग शैली (चार दिशाओं में बागीचे) में बना हुआ स्मारक है। बाग के भीतर तीन प्रमुख मकबरे हैं – शाह बेगम, ख़ुसरो मिर्ज़ा और निसा बेगम (ख़ुसरो की बहन) के। मकबरों पर बारीक नक्काशी, फारसी शिलालेख, गुंबदों, और मेहराबों का सुंदर संयोजन देखने को मिलता है। यहाँ पे स्टेशन रोड के स्ट्रीट फूड स्टॉल्स पर समोसा-जलेबी, सिविल लाइंस के पास छोले भटूरे और ‘हरि राम & संस’ जैसे लोकल मिष्ठान्न भंडार पर मिष्ठान्न मिलते हैं |
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कैसे पहुंचें?(allahabad travel places)
साधन | विवरण |
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रेलवे | प्रयागराज जंक्शन से पैदल दूरी पर (1-2 मिनट) |
बस/टैक्सी | शहर के किसी भी कोने से टैक्सी या ऑटो द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है |
हवाई अड्डा | प्रयागराज एयरपोर्ट से लगभग 13-14 किमी दूर |
4. स्वराज भवन (Swaraj Bhavan), प्रयागराज – स्वतंत्रता संग्राम की जन्मस्थली(allahabad travel places)
स्वराज भवन, जिसे पहले आनंद भवन कहा जाता था, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान नेता पं. जवाहरलाल नेहरू और उनके परिवार का निवास स्थान था। यहाँ स्वतंत्रता संग्राम से संबंधित कई ऐतिहासिक वस्तुएं और चित्र प्रदर्शित हैं, जो इतिहास प्रेमियों के लिए आकर्षण का केंद्र हैं। स्वराज भवन, प्रयागराज (पूर्व में इलाहाबाद) का एक ऐतिहासिक स्थल है, जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम और नेहरू-गांधी परिवार की विरासत से गहराई से जुड़ा हुआ है। यह भवन स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्मस्थान भी है और एक समय पर भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की गतिविधियों का केंद्र रहा। 1930 के दशक में जब मोतीलाल नेहरू ने आनंद भवन गांधीजी को राजनीतिक कार्यों के लिए समर्पित कर दिया, तब स्वराज भवन को परिवार का निवास बनाया गया और इसका नाम “स्वराज भवन” रखा गया। यह भवन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की कई महत्वपूर्ण बैठकों का गवाह रहा है। यहाँ का व्यंजन सिविल लाइंस के लोकल रेस्टोरेंट्स पर शुद्ध शाकाहारी थाली, MG रोड और CIC टॉवर के पास समोसे और मिठाइयाँ और आनंद भवन के पास स्ट्रीट स्टॉल्स पर ठंडई और कुल्फी मिलती है |
कैसे पहुंचें?
साधन | विवरण |
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रेलवे स्टेशन से दूरी | प्रयागराज जंक्शन से 4 किमी |
एयरपोर्ट से दूरी | प्रयागराज एयरपोर्ट से 12 किमी |
बस/टैक्सी/ऑटो | शहर में सभी प्रमुख स्थानों से कनेक्टेड |
5. चंद्रशेखर आज़ाद पार्क (Chandra Shekhar Azad Park), प्रयागराज – शौर्य, बलिदान और इतिहास का प्रतीक स्थल (allahabad travel places)
1870 में स्थापित यह पार्क पहले ‘अल्फ्रेड पार्क’ के नाम से जाना जाता था। यहाँ 1931 में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी चंद्रशेखर आज़ाद ने अंग्रेजों से लड़ते हुए शहादत प्राप्त की थी। यह पार्क स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास को जीवित रखता है और यहाँ का वातावरण शांति प्रदान करता है। चंद्रशेखर आज़ाद पार्क प्रयागराज शहर के दिल में स्थित एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर है। इसे पहले “अल्फ्रेड पार्क” कहा जाता था, लेकिन 1931 में जब महान क्रांतिकारी चंद्रशेखर आज़ाद ने यहाँ अंग्रेजों से लोहा लेते हुए अपने प्राण त्यागे, तब से इस पार्क को उनके सम्मान में नया नाम मिला। यह पार्क आज़ादी के इतिहास का साक्षी है और प्रयागराज के सबसे सुंदर और बड़े सार्वजनिक उद्यानों में से एक है। 1870 में ब्रिटिश सरकार द्वारा बनवाया गया, जब प्रिंस अल्फ्रेड भारत यात्रा पर आए थे। इसका पहला नाम “Company Bagh” था, बाद में इसे Alfred Park नाम दिया गया। 27 फरवरी 1931 को चंद्रशेखर आज़ाद ने यहाँ अंग्रेजों से मुकाबला करते हुए खुद को गोली मार ली ताकि वे गिरफ्तार न हो सकें। यहाँ का मुख्य व्यंजन MG रोड और सिविल लाइंस मार्केट में समोसा, कचौड़ी, पार्क के बाहर के ठेले पर ठंडई, कुल्फी और सिविल लाइंस में कई शाकाहारी/मल्टी-कुज़ीन विकल्प कैफे और रेस्टोरेंट्स है |
कैसे पहुंचें?
साधन | विवरण |
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रेलवे स्टेशन से दूरी | प्रयागराज जंक्शन से लगभग 3 किमी |
बस/ऑटो/टैक्सी | शहर के किसी भी कोने से सीधी पहुँच |
एयरपोर्ट से दूरी | लगभग 11 किमी (टैक्सी/कैब से 20-25 मिनट) |
6. लेटे हनुमान मंदिर (Reclining Hanuman Temple), प्रयागराज – भक्ति, चमत्कार और अनोखी मूर्ति का संगम
allahabad travel places: यह मंदिर लगभग 700 साल पुराना है और यहाँ भगवान हनुमान की विशिष्ट लेटी हुई मूर्ति स्थापित है, जो मानसून के दौरान आंशिक रूप से जलमग्न हो जाती है। मंदिर की यह अनूठी मूर्ति और यहाँ का धार्मिक वातावरण भक्तों को आकर्षित करता है। लेटे हनुमान मंदिर, प्रयागराज के त्रिवेणी संगम तट पर स्थित एक अद्भुत और अनोखा धार्मिक स्थल है। यह भारत का एकमात्र ऐसा मंदिर है जहाँ भगवान हनुमान जी की लेटे हुए अवस्था (Reclining posture) में प्रतिमा स्थापित है। आस्था, इतिहास और चमत्कारों से भरा यह स्थल लाखों भक्तों को अपनी ओर आकर्षित करता है। यहाँ मंदिर के बाहर ठंडई, चूरन, लड्डू , संगम मार्ग के लोकल ठेले पर पूड़ी-सब्जी, कचौड़ी, और घाट के पास ढाबे पर चाय-बिस्किट मिलता है |
कैसे पहुँचें?
साधन | विवरण |
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रेल मार्ग | प्रयागराज जंक्शन से लगभग 7 किमी |
बस/ऑटो/रिक्शा | शहर से संगम की ओर सीधा ऑटो मिलता है |
पैदल | संगम पहुँचने के बाद नाव या पैदल चलकर मंदिर तक पहुँचा जा सकता है |
7. मिन्टो पार्क (Minto Park), प्रयागराज – इतिहास और शांति का एक सुंदर संगम (allahabad travel places)
1858 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के ईयरल कैनिंग ने यहाँ क्वींस विक्टोरिया की घोषणा पढ़ी थी, जिसके बाद भारत में ब्रिटिश शासन की शुरुआत हुई। 1908 में इस स्थल पर एक स्तंभ स्थापित किया गया था। यह स्थल ऐतिहासिक महत्व रखता है और यहाँ का वातावरण शांतिपूर्ण है। मिन्टो पार्क, जिसे अब आधिकारिक रूप से मदन मोहन मालवीय पार्क कहा जाता है, प्रयागराज का एक ऐतिहासिक और हरियाली से भरा सार्वजनिक स्थल है। यह पार्क यमुना नदी के तट पर स्थित है और भारत के औपनिवेशिक इतिहास से गहराई से जुड़ा हुआ है। यह पार्क 1905 में ब्रिटिश वायसराय लॉर्ड मिन्टो की भारत यात्रा की याद में विकसित किया गया था, इसलिए इसका नाम “मिन्टो पार्क” पड़ा। 1 नवंबर 1858 को ब्रिटिश क्राउन ने ईस्ट इंडिया कंपनी से भारत का शासन अपने हाथ में लिया, और इसी स्थल पर एक ऐतिहासिक घोषणा की गई — इसे “ब्रिटिश राज की घोषणा स्थल” के रूप में जाना जाता है। यहाँ स्ट्रीट फूड पार्क के बाहर छोटे ठेले – भेल, पानीपुरी, चाय, रेस्तरां सिविल लाइंस के रेस्टोरेंट्स और कैफे और संगम क्षेत्र प्रसाद की दुकानों पर मिठाइयाँ, पूड़ी-सब्जी मिल जाते हैं |
कैसे पहुँचें? (allahabad travel places)
साधन | विवरण |
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रेल मार्ग | प्रयागराज जंक्शन से लगभग 6 किमी |
बस/ऑटो/कैब | सिविल लाइंस या किला मार्ग से सीधा ऑटो या टैक्सी |
संगम के पास से पैदल | संगम और किले से पैदल पहुँचने योग्य दूरी पर |
8. प्रयागराज संग्रहालय (Allahabad Museum) – इतिहास, कला और संस्कृति का जीवंत संग्रह
allahabad travel places: यह संग्रहालय भारतीय कला, संस्कृति और इतिहास का अद्भुत संग्रह प्रस्तुत करता है। यहाँ प्राचीन मूर्तियाँ, चित्र और अन्य कलाकृतियाँ प्रदर्शित हैं। इतिहास और कला प्रेमियों के लिए यह स्थल अत्यंत रोचक है। प्रयागराज संग्रहालय, उत्तर भारत के प्रमुख संग्रहालयों में से एक है। यह संग्रहालय भारत की प्राचीन सभ्यता, स्वतंत्रता संग्राम, कला, साहित्य, और ऐतिहासिक धरोहरों को संरक्षित करने का प्रमुख केंद्र है। यहाँ भारतीय इतिहास के कई अनदेखे और दुर्लभ पहलुओं को बेहद सुंदर और व्यवस्थित ढंग से प्रस्तुत किया गया है। प्रयागराज संग्रहालय की स्थापना वर्ष 1931 में हुई थी। शुरुआत में यह म्युनिसिपल बोर्ड भवन में स्थित था, लेकिन 1947 में वर्तमान स्थान पर शिफ्ट किया गया। यह संग्रहालय नेहरू परिवार, महात्मा गांधी, और चंद्रशेखर आज़ाद जैसी महान हस्तियों से भी जुड़ा है। यहाँ खाने पीने के सामान जैसे स्ट्रीट फूड पार्क के बाहर ठेले – भेलपुरी, समोसा, कुल्फी, कैफे: सिविल लाइंस रोड पर छोटे कैफे और टी स्टॉल्स और रेस्टोरेंट: MG रोड के आसपास अच्छे परिवारिक रेस्टोरेंट पे मिल जाते हैं |
कैसे पहुँचें?
साधन | विवरण |
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रेलवे स्टेशन से दूरी | प्रयागराज जंक्शन से लगभग 4 किमी |
बस/ऑटो/कैब | सिविल लाइंस और MG रोड से आसानी से उपलब्ध |
हवाई अड्डा | प्रयागराज एयरपोर्ट से लगभग 11 किमी दूर |
9. विक्टोरिया मेमोरियल (Victoria Memorial), प्रयागराज – ब्रिटिश विरासत का गवाह
यह स्मारक ब्रिटिश शासन के दौरान निर्मित हुआ था और यह ब्रिटिश वास्तुकला का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत करता है। यह स्मारक ऐतिहासिक महत्व रखता है और यहाँ का वातावरण शांतिपूर्ण है। विक्टोरिया मेमोरियल प्रयागराज (पूर्व में इलाहाबाद) के ऐतिहासिक चंद्रशेखर आज़ाद पार्क (जिसे पहले अल्फ्रेड पार्क कहा जाता था) के भीतर स्थित एक ब्रिटिशकालीन स्मारक है। यह स्मारक ब्रिटिश साम्राज्य की महारानी क्वीन विक्टोरिया की याद में बनाया गया था और आज भी औपनिवेशिक भारत की वास्तुकला, राजनीतिक इतिहास और विरासत का प्रतीक बना हुआ है। विक्टोरिया मेमोरियल की स्थापना 1906 में क्वीन विक्टोरिया की मृत्यु (1901) के पश्चात की गई थी। इसका निर्माण ब्रिटिश राज में भारत के लोगों से “पब्लिक सब्सक्रिप्शन” द्वारा जुटाए गए धन से हुआ था। इसका उद्देश्य था — ब्रिटिश साम्राज्य की ताकत, संस्कृति और रानी विक्टोरिया के प्रति सम्मान को दर्शाना। यहाँ पे पार्क के बाहर ठेले पे चाय-नाश्ता, MG रोड, सिविल लाइंस क्षेत्र में समोसे, कचौड़ी और निकटतम है CIC टावर और लोकल कैफे रूट पे रेस्तरां है |
कैसे पहुँचें?
साधन | दूरी और विवरण |
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रेल मार्ग | प्रयागराज जंक्शन से 3.5 किमी |
हवाई मार्ग | प्रयागराज एयरपोर्ट से 11 किमी |
ऑटो/कैब | सिविल लाइंस और MG रोड से सीधे पहुँच |
पास के स्थल | प्रयागराज संग्रहालय, चंद्रशेखर आज़ाद प्रतिमा, आनंद भवन |
10. संगम घाट (Sangam Ghat) (allahabad travel places)
यह घाट त्रिवेणी संगम का हिस्सा है और यहाँ हर साल लाखों श्रद्धालु स्नान करने आते हैं। यहाँ का धार्मिक वातावरण और संगम की पवित्रता भक्तों को आकर्षित करती है। संगम घाट प्रयागराज (पूर्व में इलाहाबाद) का सबसे प्रसिद्ध और ऐतिहासिक स्थल है। यह स्थान भारत के सबसे पवित्र तीर्थ स्थलों में गिना जाता है, जहां गंगा, यमुना, और सरस्वती नदियाँ मिलती हैं। इसे त्रिवेणी संगम के नाम से भी जाना जाता है और यहाँ की धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्वता अत्यधिक है।
नज़दीकी खाने-पीने के विकल्प
व्यंजन | स्थान |
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स्ट्रीट फूड | संगम घाट के पास छोटे-छोटे ठेले – पानीपुरी, भेलपुरी, समोसा |
पारंपरिक भारतीय भोजन | सिविल लाइंस और संगम के आस-पास के रेस्टोरेंट्स |
मिठाइयाँ | संगम घाट के पास लड्डू, हलवा और अन्य पारंपरिक मिठाइयाँ |
यात्रा सारणी
स्थल का नाम | स्थान | प्रवेश शुल्क | समय | प्रमुख आकर्षण |
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त्रिवेणी संगम | संगम क्षेत्र | ₹0 | 24 घंटे | पवित्र स्नान, कुम्भ मेला |
इलाहाबाद किला | यमुनानगर | ₹50 | 10 AM – 5 PM | ऐतिहासिक किला, अशोक स्तंभ |
खुसरो बाग | खुसरो बाग रोड | ₹10 | 6 AM – 6 PM | मुग़ल वास्तुकला, समाधियाँ |
स्वराज भवन | अल्फ्रेड पार्क | ₹20 | 10 AM – 4 PM | नेहरू परिवार की यादें |
चंद्रशेखर आज़ाद पार्क | जॉर्जटाउन | ₹0 | 6 AM – 8 PM | स्वतंत्रता संग्राम इतिहास |
लेटे हनुमान मंदिर | त्रिवेणी संगम | ₹0 | 5 AM – 8 PM | लेटी हुई हनुमान मूर्ति |
मिन्टो पार्क | यमुनानगर | ₹10 | 6 AM – 6 PM | ऐतिहासिक स्थल, शांति का वातावरण |
प्रयागराज संग्रहालय | सिविल लाइन्स | ₹20 | 10 AM – 5 PM | प्राचीन कलाकृतियाँ |
विक्टोरिया मेमोरियल | अल्फ्रेड पार्क | ₹30 | 9 AM – 6 PM | ब्रिटिश वास्तुकला, स्मारक |
संगम घाट |
Allahabad Travel & Restaurant Budget (Per Person)
Category | Option | Estimated Cost (INR) | Notes |
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Travel to Allahabad | Train (Sleeper Class) | ₹300 – ₹500 | Budget travel; prior booking advised |
Train (3AC) | ₹800 – ₹1,200 | Comfortable mid-range option | |
Bus (AC/Non-AC) | ₹400 – ₹1,000 | Cost varies by distance and operator | |
Flight (Economy) | ₹2,000 – ₹6,000 | From major cities like Delhi, Mumbai, Kolkata | |
Local Transport | Auto Rickshaw | ₹100 – ₹300/day | For short local rides |
Ola/Uber/Taxi | ₹200 – ₹500/day | App-based services, more comfort | |
Restaurant/Food | Street Food/Dhaba | ₹100 – ₹200/day | Basic meals: poori-sabzi, chaat, etc. |
Mid-range Restaurant | ₹300 – ₹600/day | Full thali, biryani, north Indian dishes | |
High-end Restaurant | ₹800 – ₹1,500/day | Multi-course meals or fine dining |
Example Total Daily Budgets
Traveler Type | Daily Budget (INR) | Includes |
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Budget Traveler | ₹600 – ₹1,000 | Sleeper train, local food, rickshaw |
Comfort Traveler | ₹1,500 – ₹2,500 | 3AC train, mid-range food, taxi/auto |
Luxury Traveler | ₹3,500+ | Flights, high-end dining, private transport |
निष्कर्ष
प्रयागराज की ये 10 जगहें न केवल आपकी यात्रा को यादगार बनाएंगी, बल्कि आपको शहर की गहरी सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और प्राकृतिक विरासत से भी जोड़ेंगी। हर स्थल की अपनी खासियत है — चाहे वह धार्मिक आस्था हो, इतिहास की गहराई हो, या प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद। अपनी रुचि और समय के अनुसार इन स्थलों का चयन करें और प्रयागराज की यात्रा का भरपूर आनंद लें।
FAQ
कौन से स्थान आपकी आत्मा को शांति और आनंद देते हैं?
आत्मा को शांति और आनंद देने वाले स्थान
1. धार्मिक स्थल
मंदिर, मस्जिद, चर्च, गुरुद्वारा जैसे पवित्र स्थानों पर जाकर ध्यान, प्रार्थना और आराधना करने से आत्मा को गहरी शांति और आनंद की अनुभूति होती है|
2. प्राकृतिक स्थल
नदियों के किनारे, झील, पहाड़, बाग-बगिचे और शांत पार्कों में समय बिताने से मन को सुकून और आत्मा को आनंद मिलता है।
3. ध्यान और साधना स्थल
आश्रम, योग केंद्र, ध्यान स्थल या एकांत जगहों पर ध्यान, साधना और आत्मचिंतन करने से भी आत्मा को शांति और आनंद प्राप्त होता है|
4. सेवा और परोपकार के स्थान
जहां लोग सेवा, दान और परोपकार करते हैं, वहां भी आत्मा को गहरा संतोष और आनंद मिलता है