20 अद्भुत Bhopal Paryatan Sthal जो आपको मंत्रमुग्ध कर देंगे

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Bhopal Paryatan sthal : भारत के हृदयस्थल मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल है | भोपाल प्राकृतिक सौंदर्य, ऐतिहासिक धरोहरों और सांस्कृतिक विविधताओं का अद्भुत संगम है। यहां झीलों की शांति का अहसास होता है | भोपाल के स्थापत्य कला की भव्यता हर पर्यटक को मंत्रमुग्ध करती है। भोपाल, जिसे झीलों की नगरी (City of Lakes) कहा जाता है | मध्य प्रदेश की राजधानी और भारत के सबसे खूबसूरत एवं ऐतिहासिक शहरों में से भोपाल एक है। यह शहर अपनी प्राकृतिक सुंदरता, ऐतिहासिक धरोहरों, सांस्कृतिक समृद्धि और नवाबी विरासत के लिए प्रसिद्ध है।

इसकी स्थापना 11वीं सदी में राजा भोज द्वारा (भोजपाल के नाम से) हुई थी | आधुनिक भोपाल की स्थापना नवाब दोस्त मोहम्मद खान द्वारा 1707 में हुई थी | यहाँ की भाषा हिंदी (मुख्य), उर्दू, और अंग्रेज़ी है | यहाँ की जनसँख्या लगभग 23 लाख (2023 अनुमान) है | इसकी अर्थव्यवस्था में शिक्षा, प्रशासन, पर्यटन, उद्योग, और आईटी शामिल हैं | भोपाल का प्रारंभिक इतिहास राजा भोज से जुड़ा है, जिनके नाम पर यह भोजपाल कहलाया। बाद में अफगान योद्धा दोस्त मोहम्मद खान ने इसे आधुनिक शहर के रूप में बसाया। 19वीं और 20वीं सदी में यहाँ बेगमों का शासन रहा, जिन्होंने शहर को सांस्कृतिक और सामाजिक रूप से विकसित किया।

20 शानदार himachal pradesh paryatan sthal जो मन मोह लें

भोपाल के प्रमुख दर्शनीय और पर्यटक स्थल – Bhopal Tourist Places In Hindi

bhopal paryatan

दिल्ली से भोपाल पहुँचने का यात्रा बजट (1 व्यक्ति के लिए)

यात्रा का माध्यमकिराया (INR)समय (घंटे में)विवरण
ट्रेन (स्लीपर क्लास)₹400 – ₹60012–14 घंटेसस्ती, आरामदायक, अग्रिम बुकिंग ज़रूरी
ट्रेन (3AC)₹1000 – ₹140012–14 घंटेवातानुकूलित सुविधा
बस (AC वॉल्वो)₹1200 – ₹160014–16 घंटेलंबी दूरी, थोड़ा महँगा
फ्लाइट ₹2500 – ₹60001.5 – 2 घंटेसबसे तेज़, पर महँगा
निजी कार (डीज़ल)₹3000 – ₹4000 (ईंधन)12–13 घंटेसुविधा अनुसार, 4 लोग शेयर करें तो सस्ता

भोपाल पर्यटन स्थल यात्रा: ट्रांसपोर्ट + रेस्टोरेंट बजट टेबल (प्रति व्यक्ति, प्रतिदिन)

खर्च का प्रकारअनुमानित बजट (INR ₹)विवरण
लोकल ट्रांसपोर्ट₹200 – ₹400ऑटो, ओला/उबर, या टैक्सी (स्थल: भीम बेटका, सांची, बड़ा तालाब, मानव संग्रहालय)
सार्वजनिक वाहन₹50 – ₹100सिटी बस/मिनी बस (लोकल यात्रा के लिए सस्ता विकल्प)।
नाश्ता₹50 – ₹100लोकल होटल, पोहा-जलेबी या चाय के साथ।
दोपहर का भोजन₹150 – ₹300मिड-रेंज रेस्टोरेंट या ढाबा (थाली/साउथ इंडियन भोजन)।
रात का खाना₹150 – ₹300कैफे या रेस्तरां में हल्का/मध्यम भोजन।
चाय/स्नैक्स₹50 – ₹100दिन भर में चाय, पानी, स्नैक्स आदि।

कुल बजट सारांश (प्रतिदिन):

श्रेणीन्यूनतम ₹अधिकतम ₹
ट्रांसपोर्टेशन₹200₹500
भोजन / रेस्टोरेंट₹250₹700
कुल खर्च (1 दिन)₹450₹1200

यातायात व कनेक्टिविटी

साधनजानकारी
रेलवे स्टेशनभोपाल जंक्शन, हबीबगंज (अब रानी कमलापति स्टेशन)
हवाई अड्डाराजा भोज अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा
बस सेवाBRTS, मिनी बस, ऑटो, कैब, मेट्रो (निर्माणाधीन)
निकटतम बड़े शहरइंदौर (190 किमी), जबलपुर (320 किमी), नागपुर (350 किमी)

अगर आप भोपाल घूमने का सोच रहे हैं, तो यह लेख आपके लिए है। आइए जानते हैं 20 अद्भुत Bhopal Paryatan Sthal के बारे में, जो आपके यात्रा अनुभव को यादगार बना देंगे |

1. बड़ा तालाब (Upper Lake) (Bhopal Paryatan sthal )

भोजताल को भोपाल में बड़ा तालाब या बड़ी झील कहा जाता है | इस झील से लगभग 40% जल खेती तथा पीने में प्रयोग किया जाता है |

भोपाल के लोगो का मुख्य व्यवसाय खेती है | इस झील का निर्माण परमार राजा भोज ने की थी | बड़ा तालाब के मध्य में तलवार से सुशोभित परमार राजा भोज की एक बड़ी सी मूर्ति है , जो पर्यटकों को आकर्षित करती है |

भोपाल का सबसे प्रमुख आकर्षण, बड़ा तालाब 11वीं सदी में बना था। यहां बोटिंग, कायाकिंग और जलक्रीड़ा की सुविधाएं उपलब्ध हैं। सूर्यास्त का दृश्य बेहद मनमोहक होता है।

  • इतिहास: यह झील 11वीं सदी में राजा भोज द्वारा बनाई गई थी और भोपाल की सबसे पुरानी जलाशय मानी जाती है।
  • भोजन: झील के किनारे स्थित कैफे में स्थानीय व्यंजन जैसे पोहा, चाय, और स्नैक्स उपलब्ध हैं।
  • ठहरने की जगह: झील के पास कई बजट और लग्ज़री होटल्स हैं।
  • करने के लिए चीज़ें: बोटिंग, पैडल बोटिंग, और सूर्यास्त का दृश्य देखना।
  • कैसे पहुँचे: भोपाल रेलवे स्टेशन से लगभग 5 किमी, ऑटो या कैब द्वारा पहुँचा जा सकता है।
  • प्रवेश शुल्क: बोटिंग के लिए ₹50-₹100।

2. छोटा तालाब (Lower Lake)

small lake

यह तालाब भोपाल को और सुन्दर बनाने के लिए 1794 में बनाया गया था | झील को बनाने का काम छोटे खान के आदेश पर नवाब हयात मोहम्मद खान बहादुर के एक मंत्री द्वारा कराया गया था | छोटे तालाब और बड़ा तालाब को ‘पुल पुख्ताा‘ द्वारा अलग करता है |

छोटा तालाब 1.29 वर्ग किलोमीटर (पानी फैल) के क्षेत्र में है और इस झील का जलग्रहण क्षेत्र 9.6 वर्ग किमी है।

Bhopal Paryatan sthal: बड़ा तालाब के पास स्थित यह झील भी शांति और प्राकृतिक सौंदर्य का प्रतीक है। दोनों झीलों को एक पुल द्वारा जोड़ा गया है, जिसे ‘सरताज ब्रिज’ कहा जाता है।

  • इतिहास: यह झील भी राजा भोज द्वारा बनाई गई थी और बड़ा तालाब से जुड़ी हुई है।
  • भोजन: झील के आसपास के स्टॉल्स में चाट, भेलपुरी, और स्थानीय स्नैक्स मिलते हैं।
  • ठहरने की जगह: झील के पास कई रिसॉर्ट्स और गेस्ट हाउस उपलब्ध हैं।
  • करने के लिए चीज़ें: पैदल चलना, फोटोग्राफी, और झील के किनारे बैठकर शांति का अनुभव करना।
  • कैसे पहुँचे: बड़ा तालाब से पैदल या ऑटो द्वारा पहुँचा जा सकता है।
  • प्रवेश शुल्क: निशुल्क।

3. भारत भवन (Bhopal Paryatan sthal )

bharat bhavan

भारत भवन भोपाल में स्थित एक विविध कला , सांस्कृतिक केंद्र और संग्राहलय है | इसमें विभिन्न आर्ट गैलरी, ऑडोटोरियम और भारतीय कविताओं की पुस्तकालय भी सम्लित है | यह बड़ा तालाब के पास में है |

यह की कलाये बहुत ही अनूठी हैं | यह श्यामला पहड़ियों पर स्थित है | यहाँ से भोपाल शहर का सुन्दर दृश्य दिखाई देता है | इस भवन को वास्‍तुकार चार्ल्‍स कोरिया ने डिजाइन किया था |

भारत भवन एक कला प्रेमियों का स्वर्ग है। यहाँ चित्रकला, नाट्यकला, संगीत और साहित्य के कार्यक्रम नियमित रूप से आयोजित होते हैं।

  • इतिहास: यह कला केंद्र 1982 में स्थापित हुआ था और मध्य प्रदेश शासन द्वारा संचालित है।
  • भोजन: परिसर में कैफे में हल्के नाश्ते और चाय की सुविधा है।
  • ठहरने की जगह: नज़दीकी होटल्स में ठहरने की सुविधा उपलब्ध है।
  • करने के लिए चीज़ें: नाटक, संगीत और कला प्रदर्शन देखना।
  • कैसे पहुँचे: भोपाल रेलवे स्टेशन से लगभग 6 किमी, कैब या ऑटो द्वारा पहुँचा जा सकता है।
  • प्रवेश शुल्क: ₹20-₹50 (कार्यक्रम के अनुसार)।

4. मानव संग्रहालय (Indira Gandhi Rashtriya Manav Sangrahalaya)

ndira gandhi

Bhopal Paryatan sthal : यह एक अनोखा संग्रहालय है जो विभिन्न जनजातियों की जीवनशैली और संस्कृति को जीवंत रूप में दर्शाता है। यह संग्रहालय श्यामला हिल्स पर स्थित है और विशाल क्षेत्र में फैला हुआ है।

यह एक मानव बिज्ञान संग्राहलय है | इसका मूल मन्त्र है, मानव तथा संस्कृति के इतिहास को बढ़ावा देना है | यह संग्रहालय श्यामला की पहाड़ियों में 200 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है | जिसमे ३२ पारंपरिक एवं प्रागैतिहासिक चित्रित शैलाश्रय भी हैं। यह मानव जीवन को लेकर विशाल संग्रहलाय है |

  • इतिहास: यह संग्रहालय विभिन्न जनजातीय समुदायों की संस्कृति और जीवनशैली को प्रदर्शित करता है।
  • भोजन: संग्रहालय परिसर में कैफे में स्थानीय और भारतीय भोजन उपलब्ध है।
  • ठहरने की जगह: श्यामला हिल्स क्षेत्र में कई होटल्स और गेस्ट हाउस हैं।
  • करने के लिए चीज़ें: संग्रहालय में प्रदर्शनी देखना, फोटो खींचना।
  • कैसे पहुँचे: भोपाल रेलवे स्टेशन से लगभग 7 किमी, कैब या ऑटो द्वारा पहुँचा जा सकता है।
  • प्रवेश शुल्क: ₹30-₹50।

5. भोजपुर मंदिर (Bhopal Paryatan sthal )

भोजपुर मंदिर को भोजेश्वर मन्दिर भी कहा जाता है | इसका निर्माण राजा भोज ने की थी, जिनके नाम पर इस मंदिर का नाम भोजपुर या भोजेश्वर मंदिर पड़ा | यह मध्य प्रदेश राज्य के रायसेन जिले में स्थित है | इस मंदिर को पूर्व में सोमनाथ के नाम से भी जाना जाता था | यहाँ भगवन शिव का 7 फ़ीट से अधिक ऊचा शिवलिंग है |

भोपाल से 28 किलोमीटर दूर स्थित यह मंदिर राजा भोज द्वारा बनवाया गया था। यहाँ भगवान शिव का विशाल शिवलिंग स्थापित है, जो स्थापत्य कला का अद्भुत उदाहरण है।

  • इतिहास: यह मंदिर 11वीं सदी में राजा भोज द्वारा बनवाया गया था और शिव जी को समर्पित है।
  • भोजन: मंदिर के पास स्थानीय भोजनालयों में दाल-बाटी, चूरमा जैसे व्यंजन मिलते हैं।
  • ठहरने की जगह: भोजपुर क्षेत्र में कुछ धर्मशालाएँ और गेस्ट हाउस उपलब्ध हैं।
  • करने के लिए चीज़ें: मंदिर दर्शन, आसपास के पहाड़ी क्षेत्र में ट्रैकिंग।
  • कैसे पहुँचे: भोपाल से लगभग 28 किमी, कैब या बस द्वारा पहुँचा जा सकता है।
  • प्रवेश शुल्क: निशुल्क।

6. भीम बेटका शैलाश्रय (Bhopal Paryatan sthal )

bheem betka

यह शैलाश्रय केंद्रीय-भारतीय के पठार दक्षिण के विंध्या पर्वत शृंखला की तलहटी में बसा हुआ है | यहाँ मध्य काल से लेकर ऐतिहासिक काल की चित्रकारिया देखी जा सकती हैं |

भीम बेटका UNESCO वर्ल्ड हेरिटेज साइट है जहाँ आपको हजारों साल पुरानी गुफा चित्रकला देखने को मिलती है। यह मानव सभ्यता के शुरुआती संकेतों को दर्शाता है।

  • इतिहास: ये गुफाएँ प्राचीन चित्रकला और मानव सभ्यता के संकेत प्रदान करती हैं, और UNESCO विश्व धरोहर स्थल हैं।
  • भोजन: गुफाओं के पास छोटे स्टॉल्स में स्नैक्स और पेय पदार्थ मिलते हैं।
  • ठहरने की जगह: नज़दीकी क्षेत्रों में होमस्टे और गेस्ट हाउस उपलब्ध हैं।
  • करने के लिए चीज़ें: गुफाओं में चित्रकला देखना, ट्रैकिंग।
  • कैसे पहुँचे: भोपाल से लगभग 45 किमी, कैब या बस द्वारा पहुँचा जा सकता है।
  • प्रवेश शुल्क: ₹25-₹50।

7. वन विहार राष्ट्रीय उद्यान (Bhopal Paryatan sthal )

यह थ्री-इन-वन राष्ट्रीय उद्यान है | यह राष्ट्रीय उद्यान होने के साथ-साथ, चिड़ियाघर और जानवर रेस्क्यू  भी है | 445 हैक्टेयर क्षेत्र में फैले हुए इस राष्ट्रीय उद्यान में मिलने वाले जानवरों को जंगल से पकड़कर नहीं लाया गया है। यहाँ पे जानवर खुद आकर मज़बूरी एवं परेशानी से बचने के लिए बसें हैं |

यह एक ओपन ज़ू है जो नैचुरल हैबिटेट में जानवरों को देखने का अवसर प्रदान करता है। यहाँ बाघ, तेंदुआ, भालू और कई पक्षी प्रजातियाँ देखने को मिलती हैं।

  • इतिहास: यह उद्यान 1979 में स्थापित हुआ था और मध्य प्रदेश का प्रमुख वन्यजीव अभयारण्य है।
  • भोजन: उद्यान के पास कैफे में हल्के नाश्ते और चाय की सुविधा है।
  • ठहरने की जगह: भोपाल शहर में कई होटल्स और रिसॉर्ट्स हैं।
  • करने के लिए चीज़ें: वन्यजीवों का अवलोकन, सफारी।
  • कैसे पहुँचे: भोपाल रेलवे स्टेशन से लगभग 10 किमी, कैब या ऑटो द्वारा पहुँचा जा सकता है।
  • प्रवेश शुल्क: ₹50-₹100।

8. ताज-उल-मस्जिद (Bhopal Paryatan sthal )

यह मस्जिद सफ़ेद रंग की और विशाल मंदिर है | इस मंदिर को मदरसे के तौर पे इस्तेमाल किया जाता है | कभी लगे गए अनुमान के हिसाब से ये एशिया का सबसे बड़ा मस्जिद है | इसका निर्माण भोपाल के आठवे शाशक शाहजहां बेगम के शासन काल में हुआ था, परन्तु धन की कमी के कारण ये पूरा न हो सका | 1971 में भारत सर्कार के दखल के कारण यह पूरा हुआ | ज उल मस्जिद का अर्थ है ‘मस्जिदों का ताज’। 

भारत की सबसे बड़ी मस्जिदों में से एक, यह मस्जिद अपनी गुलाबी दीवारों और संगमरमर के गुंबदों के लिए प्रसिद्ध है। इसका निर्माण नवाब शाहजहाँ बेगम ने कराया था।

  • इतिहास: यह मस्जिद 19वीं सदी में नवाब शाहजहाँ बेगम द्वारा बनवायी गई थी और भारत की सबसे बड़ी मस्जिदों में से एक है।
  • भोजन: मस्जिद के पास स्थानीय भोजनालयों में बिरयानी, कबाब, और अन्य व्यंजन मिलते हैं।
  • ठहरने की जगह: मस्जिद के पास कई होटल्स और गेस्ट हाउस हैं।
  • करने के लिए चीज़ें: मस्जिद का आंतरिक और बाहरी अवलोकन, फोटोग्राफी।
  • कैसे पहुँचे: भोपाल रेलवे स्टेशन से लगभग 3 किमी, ऑटो या कैब द्वारा पहुँचा जा सकता है।
  • प्रवेश शुल्क: निशुल्क |

9. गौहर महल (Bhopal Paryatan sthal )

यह महल बहुत ही भव्य एवं आकर्षक है | गौहर महल भोपाल शहर के बड़े तालाब के किनारे वी.आई.पी. रोड पर शौक़त महल के पास बड़ी झील के किनारे स्थित है। कुदसिया बेगम को गोहर के नाम से भी जाना जाता था जिनके नाम से इस महल का नाम गौहर महल पड गया |

भोपाल की पहली महिला शासक बेगम गौहर द्वारा बनवाया गया यह महल मुग़ल और हिंदू वास्तुकला का मिश्रण है। इसकी नक्काशी और भित्तिचित्र काफी आकर्षक हैं।

गौहर महल का निर्माण 1820 में भोपाल की पहली महिला शासक क़ुदसिया बेगम (गौहर बेगम) ने करवाया था। यह महल हिंदू और मुग़ल वास्तुकला का अद्भुत संगम है। यह नवाबी शासन की सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है और महिलाओं की सशक्त भूमिका को दर्शाता है।

  • गौहर महल 4.65 एकड़ क्षेत्र में फैला है।
  • यह महल भोपाल रियासत का पहला महल है।
  • यह महल हिन्‍दु और मुग़ल कला का अद्भुत संगम है।
श्रेणीजानकारी
भोजनमहल के पास स्थित चौक बाज़ार क्षेत्र में भोपाली बिरयानी, कबाब, कीमा पराठा और मिठाइयाँ (जैसे रबड़ी और फालूदा) लोकप्रिय हैं। शाम के वक्त स्ट्रीट फूड का आनंद लिया जा सकता है।
ठहरने की जगहमहल के आसपास कई बजट होटल्स और गेस्ट हाउस उपलब्ध हैं। कुछ नज़दीकी विकल्प हैं: Hotel Lake View Ashok, Hotel Shalimar Deluxe, Jehan Numa Palace (लग्ज़री विकल्प)
करने के लिए चीज़ेंमहल की नक्काशी और स्थापत्य कला देखना, फोटोग्राफी, स्थानीय हस्तशिल्प और कला प्रदर्शनियाँ (कभी-कभी आयोजित होती हैं),आसपास के चौक बाज़ार में खरीदारी करना
कैसे पहुँचेरेलवे स्टेशन से दूरी: लगभग 2.5 किमी, बस स्टैंड: ISBT से 5 किमी, ट्रांसपोर्ट: ऑटो, ई-रिक्शा या कैब से आसानी से पहुँचा जा सकता है
प्रवेश शुल्कआम तौर पर निशुल्क, लेकिन विशेष आयोजनों के दौरान प्रवेश शुल्क लिया जा सकता है (₹10–₹50)।
खुलने का समयसुबह 10:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक (सोमवार को बंद रह सकता है)

10. शौकत महल और सदर मंज़िल

शौकत महल यूरोपीय और इस्लामी वास्तुकला का अद्भुत मेल है। इसके पास ही स्थित सदर मंज़िल, कभी भोपाल नवाबों का दरबार हुआ करता था।

शौकत महल का निर्माण नवाब सुल्तान जहां बेगम के शासनकाल में हुआ था। यह महल यूरोपीय (फ्रेंच) और इस्लामी वास्तुकला का अनोखा मिश्रण है, जो नवाबी युग में रचनात्मकता की मिसाल माना जाता है।

इसके पास स्थित सदर मंज़िल, नवाबों का दरबारी भवन था और यहाँ राज्य शासन का प्रशासनिक कामकाज चलता था। इसकी इमारत लाल पत्थरों से बनी हुई है और इसे आज नगरपालिका कार्यालय के रूप में भी प्रयोग किया जाता है।

श्रेणीजानकारी
भोजनपास ही का चौक बाजार भोजन प्रेमियों के लिए आदर्श स्थान है। यहाँ भोपाली बिरयानी, कबाब, कीमा, चाट, समोसे और पारंपरिक मिठाइयाँ जैसे फिरनी और फालूदा प्रसिद्ध हैं।
नजदीक कुछ बढ़िया रेस्टोरेंट्स हैं: Zam Zam Fast Food, Manohar Dairy
ठहरने की जगहHotel Royal Sheraton, Hotel Arch Manor, Hotel Lake View Ashok (लग्ज़री विकल्प), सभी होटल्स 3-5 किमी की दूरी पर हैं।
करने के लिए चीज़ेंइमारतों की भव्यता और वास्तुकला का अवलोकन, फोटोग्राफी, चौक बाजार में खरीदारी, पास के गौहर महल और ताज-उल-मस्जिद भी घूम सकते हैं
कैसे पहुँचेभोपाल रेलवे स्टेशन से दूरी: लगभग 3 किमी, ISBT बस स्टैंड से दूरी: लगभग 6 किमी, कैब, ऑटो, या लोकल बस द्वारा आसानी से पहुँचा जा सकता है
प्रवेश शुल्कआमतौर पर निशुल्क, लेकिन कुछ संरक्षित हिस्सों या विशेष प्रदर्शनों के लिए ₹10–₹30 तक शुल्क लग सकता है।
खुलने का समयसुबह 10:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक (सरकारी अवकाश पर बंद हो सकता है)

11. राज्य पुरातत्व संग्रहालय (Bhopal Paryatan sthal )

यहाँ प्राचीन मूर्तियों, शिलालेखों और ऐतिहासिक अवशेषों का विशाल संग्रह है, जो मध्यप्रदेश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को दर्शाते हैं।

राज्य पुरातत्व संग्रहालय की स्थापना मध्य प्रदेश की समृद्ध सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत को संरक्षित और प्रदर्शित करने के लिए की गई थी। यह संग्रहालय भोपाल के श्यामला हिल्स क्षेत्र में स्थित है और इसमें मौर्य, गुप्त, शुंग, प्रतिहार, परमार व अन्य कालों की मूर्तियाँ, शिलालेख, चित्रकला और पुरातात्विक अवशेष संग्रहित हैं। यह संग्रहालय 2005 में नए भवन में स्थानांतरित हुआ।

श्रेणीजानकारी
भोजनसंग्रहालय के आसपास सीमित खाने-पीने की सुविधा है, लेकिन 1-2 किमी दूर भारत भवन, मानव संग्रहालय और श्यामला हिल्स रोड पर अच्छे रेस्टोरेंट्स व स्ट्रीट फूड स्टॉल मिलते हैं।
पास में मिलने वाले प्रमुख व्यंजन: पोहा-जलेबी, चाय, समोसे, भेलपुरी।
ठहरने की जगहJehan Numa Retreat, Hotel Lake View Ashok, Hotel Shagun, ये होटल संग्रहालय से 1–3 किमी के भीतर स्थित हैं और विभिन्न बजट में उपलब्ध हैं।
करने के लिए चीज़ेंप्राचीन मूर्तियाँ और अवशेष देखना, शिलालेखों का अध्ययन करना, चित्रकला और सिक्कों का संग्रह देखना, बच्चों और छात्रों के लिए ऐतिहासिक जानकारी प्राप्त करना, फोटोग्राफी (जहाँ अनुमति हो)
कैसे पहुँचेभोपाल रेलवे स्टेशन से दूरी: लगभग 6 किमी, ISBT बस स्टैंड से दूरी: लगभग 7 किमी, लोकल ट्रांसपोर्ट: कैब, ऑटो, या लोकल बस के माध्यम से पहुँचा जा सकता है
प्रवेश शुल्कभारतीय नागरिक: ₹20 प्रति व्यक्ति, विदेशी नागरिक: ₹100 प्रति व्यक्ति, कैमरा शुल्क: ₹50 (यदि लागू हो)
खुलने का समयमंगलवार से रविवार: सुबह 10:30 बजे से शाम 5:30 बजे तक
सोमवार को बंद रहता है

12. लक्ष्मीनारायण मंदिर (बिरला मंदिर) (Bhopal Paryatan sthal )

यह मंदिर एक पहाड़ी पर स्थित है जहाँ से भोपाल शहर का सुंदर दृश्य दिखाई देता है। मंदिर परिसर में एक छोटा संग्रहालय भी है।

यह भव्य मंदिर बिरला परिवार द्वारा बनवाया गया था और इसे लक्ष्मीनारायण मंदिर के नाम से जाना जाता है। यह मंदिर भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी को समर्पित है। मंदिर के साथ एक संग्रहालय भी है जिसमें मूर्तियाँ और ऐतिहासिक वस्तुएँ प्रदर्शित की गई हैं।
मंदिर ऊँची पहाड़ी पर स्थित है, जहाँ से भोपाल शहर का सुंदर दृश्य दिखाई देता है। इसका निर्माण 20वीं सदी के उत्तरार्ध में हुआ था।

श्रेणीजानकारी
भोजनमंदिर के पास छोटी-छोटी चाय और स्नैक्स की दुकानों के अलावा 1-2 किमी दूर MP Nagar और New Market में कई अच्छे रेस्टोरेंट उपलब्ध हैं।
लोकप्रिय विकल्प: पोहा-जलेबी, समोसे, भेलपुरी, और शुद्ध शाकाहारी भोजन।
ठहरने की जगहHotel Amar Vilas, Hotel Rajhans Regency, Hotel Shree Vatika, ये सभी होटल मंदिर से 1-3 किमी के भीतर हैं और बजट से लेकर प्रीमियम श्रेणी तक के विकल्प उपलब्ध हैं।
करने के लिए चीज़ेंमंदिर में दर्शन और पूजा, संग्रहालय भ्रमण, भोपाल शहर का पैनोरमिक व्यू देखना, सुबह या शाम की आरती में भाग लेना, फोटोग्राफी
कैसे पहुँचेभोपाल रेलवे स्टेशन से दूरी: लगभग 5 किमी, ISBT बस स्टैंड से दूरी: लगभग 7 किमी, लोकल ट्रांसपोर्ट: ऑटो, कैब, और लोकल बस से आसानी से पहुँचा जा सकता है
प्रवेश शुल्कमंदिर दर्शन: नि:शुल्क, संग्रहालय प्रवेश: ₹10 – ₹20 प्रति व्यक्ति, फोटोग्राफी: सामान्यतः अनुमति है (विशेष कैमरा के लिए पूछना आवश्यक)
खुलने का समयसुबह 6:00 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक
शाम 4:00 बजे से रात 9:00 बजे तक
(संग्रहालय सुबह 9:00 से शाम 5:00 बजे तक खुला रहता है)

13. कमला पार्क

बड़ा तालाब के किनारे स्थित यह पार्क शाम की सैर और फोटोग्राफी के लिए आदर्श स्थान है। यहाँ से झील और हेरिटेज भवनों का दृश्य मन को लुभाता है।

कमला पार्क भोपाल के सबसे पुराने और लोकप्रिय सार्वजनिक उद्यानों में से एक है। इसका नाम भोपाल की शासिका कमला नेहरू के नाम पर रखा गया है। यह पार्क छोटा तालाब के किनारे स्थित है और इसका वातावरण शांतिपूर्ण और हरियाली से भरपूर है। यह स्थान सुबह की सैर, परिवार के साथ घूमने और झील के किनारे बैठने के लिए उपयुक्त माना जाता है।

श्रेणीजानकारी
भोजनपार्क के पास कई स्ट्रीट फूड स्टॉल और स्थानीय भोजनालय मौजूद हैं। यहाँ पोहा, समोसे, भेलपुरी, चाय, जलेबी जैसे व्यंजन लोकप्रिय हैं। पास के चौक बाजार और न्यू मार्केट में रेस्टोरेंट की अच्छी सुविधा है।
ठहरने की जगहHotel Lake View Ashok, Hotel Shalimar Deluxe, Hotel Amer Palace, ये होटल्स पार्क से 2–5 किमी के भीतर हैं और बजट से लेकर लग्ज़री तक के विकल्प उपलब्ध हैं।
करने के लिए चीज़ेंछोटा तालाब के किनारे सैर, बोटिंग का आनंद (तालाब में), फोटोग्राफी, पार्क में पिकनिक या योग, सुबह-शाम की सैर और शांत वातावरण का अनुभव
कैसे पहुँचेभोपाल रेलवे स्टेशन से दूरी: लगभग 3 किमी, ISBT बस स्टैंड से दूरी: लगभग 6 किमी, लोकल ट्रांसपोर्ट: ऑटो, ई-रिक्शा, कैब और सिटी बस उपलब्ध
प्रवेश शुल्कनि:शुल्क (बोटिंग या किसी आयोजन के लिए शुल्क लग सकता है, ₹20–₹100 तक)
खुलने का समयप्रतिदिन सुबह 6:00 बजे से रात 9:00 बजे तक (रात में सुरक्षा कारणों से सीमित पहुँच हो सकती है)

14. करिश्मा गार्डन और नेशनल पार्क

‘करिश्मा गार्डन’ और नेशनल पार्क दोनों ही भोपाल शहर के लोकप्रिय गार्डन हैं | यहाँ पर समय बिताना प्रमुख राष्ट्रए उद्यान जैसा अनुभव देता है |

करिश्मा पार्क छोटी झील के किनारे स्थित है और जो बहुत ही सुन्दर है | यहाँ का वातावरण शांत तथा सुखद है | यह बच्चो के घूमने के लिए एक आदर्श स्थान है | यहाँ सुबह शाम घुमा जा सकता है और पिकनिक के लिए भी काफी अच्छा स्थान है |

नेशनल पार्क बड़े तालाब के पास स्थित है, यह शहर का प्रमुख नेशनल पार्क है | यहाँ आपको ब्लैकबक, चीतल, सांभर, नीलगाय, जंगली सूअर, लकड़बग्घा, साही जैसे कई वन्यजीव देखने को मिलेंगे। 

यह विशेष रूप से बच्चों और परिवार के साथ घूमने के लिए बेहतरीन जगह है। हरियाली और प्राकृतिक वातावरण यहाँ की खासियत है।

15. DB मॉल और न्यू मार्केट (Bhopal Paryatan sthal )

अगर आप खरीदारी के शौकीन हैं, तो DB मॉल और न्यू मार्केट आपके लिए आदर्श स्थान हैं। यहाँ पर स्थानीय हस्तशिल्प से लेकर ब्रांडेड वस्तुएँ सब मिलती हैं।

पहलूडीबी सिटी मॉलन्यू मार्केट
स्थानमहाराणा प्रताप नगर, एमपी नगरटीटी नगर, शहर का मध्य
शॉपिंग अनुभवब्रांडेड, मॉडर्न, एक छत के नीचे सब कुछलोकल, किफायती, विविधता से भरपूर
उपलब्धता135+ ब्रांड्स, फूड कोर्ट, मल्टीप्लेक्स, पबकपड़े, फुटवियर, घरेलू सामान, इलेक्ट्रॉनिक्स
भीड़त्योहारों पर बहुत अधिक, सामान्यतः नियंत्रितहमेशा भीड़-भाड़, खासकर महिलाओं के लिए
मनोरंजनमल्टीप्लेक्स, गेमिंग ज़ोन, रेस्टोरेंट्ससीमित, मुख्यतः शॉपिंग केंद्रित
दामब्रांडेड, मिड-टू-हाई रेंजकिफायती, बार्गेनिंग की सुविधा

16. हबीबगंज रेलवे स्टेशन परिसर

यह भारत का पहला पुनर्विकसित और हवाई अड्डे जैसा दिखने वाला रेलवे स्टेशन है। इसकी आधुनिक सुविधाएं और डिज़ाइन पर्यटकों को प्रभावित करते हैं।

  • 14 नवंबर 2021 को हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर रानी कमलापति रेलवे स्टेशन रखा गया |
  • यह नाम भोपाल रियासत की अंतिम हिंदू रानी, रानी कमलापति के सम्मान में रखा गया है |
  • भारत का पहला निजी (प्राइवेट) रेलवे स्टेशन: इसे पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत इंटरनेशनल स्तर पर डेवलप किया गया है |
  • एयरपोर्ट जैसी सुविधाएँ: स्टेशन में लिफ्ट, एस्केलेटर, एयर कंडीशन्ड वेटिंग रूम, डॉरमिटरी, रिटायरिंग रूम, वर्ल्ड क्लास शॉपिंग सेंटर, रेस्टोरेंट, फूड कोर्ट, पार्किंग, और फाइव स्टार होटल जैसी सुविधाएँ उपलब्ध हैं

17. केरवा डैम

यह डैम भोपाल शहर से लगभग 15-16 किलो मीटर दूर  मेंडोरा गाँव के पास स्थित है | करवा डैम भोपाल में पानी का स्त्रोत भी है |

प्राकृतिक शांति के बीच, यह डैम पिकनिक और एडवेंचर गतिविधियों के लिए बहुत प्रसिद्ध है। यहाँ ट्री वॉक और ट्रैकिंग भी की जा सकती है।

  • प्राकृतिक सौंदर्य: मानसून के मौसम में केरवा डैम का क्षेत्र हरियाली से भर जाता है और झील का दृश्य बहुत सुंदर हो जाता है |
  • परिवार और दोस्तों के लिए: यह स्थान परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताने के लिए आदर्श है। आसपास की घाटियाँ और पहाड़ियाँ इसे और भी आकर्षक बनाती हैं |
  • सावधानी: हाल ही में यहाँ टाइगर मूवमेंट की खबरें भी आई हैं, इसलिए पर्यटकों को सतर्क रहने की सलाह दी जाती है |
  • धार्मिक स्थल: डैम के पास भगवान श्रीराम, महादेव और माँ दुर्गा के मंदिर भी हैं

18. कलियासोत डैम

यह भी एक शांत और सुरम्य स्थान है जहाँ आप प्रकृति के बीच सुकून भरे पल बिता सकते हैं। यह खासकर मानसून में बेहद सुंदर दिखता है।  यह डैम भोपाल के मध्य में चुनाभट्टी और नेहरू नगर रहवासी कॉलोनी के पास स्थित है

  • स्थान: चुनाभट्टी और नेहरू नगर के पास, भोपाल शहर के मध्य में |
  • नदी: यह डैम कलियासोत नदी पर बना है, जो बेतवा नदी में मिलती है |
  • उपयोग: मुख्य रूप से सिंचाई के लिए उपयोग किया जाता है। नवंबर से फरवरी के बीच रबी की फसलों के लिए भोपाल और रायसेन जिलों में लगभग 10,425 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई होती है |
  • जल प्रबंधन: डैम में 13 गेट हैं, जिनके माध्यम से वर्षा के अतिरिक्त जल को नियंत्रित किया जाता है। भारी बारिश के दौरान इन गेट्स को खोला जाता है, जिससे आसपास के इलाकों में जलस्तर नियंत्रित रहे

19. सीहोर रोड और फतेहगढ़ फोर्ट

सीहोर रोड भोपाल का एक महत्वपूर्ण मार्ग है, जो शहर को सीहोर और अन्य पश्चिमी क्षेत्रों से जोड़ता है। यह शहर को सीहोर जिले से जोड़ता है | होर रोड से भोपाल के ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों तक आसानी से पहुँचा जा सकता है। यह सड़क परिवहन और व्यापार के लिए भी महत्वपूर्ण है।

भोपाल के बाहरी इलाकों में स्थित यह किला और सड़क यात्रा रोमांच पसंद लोगों के लिए बेहतरीन हैं। यहाँ से आसपास के गांवों और पहाड़ियों का दृश्य शानदार होता है।

फतेहगढ़ किला, भोपाल

  • निर्माणकर्ता: दोस्त मोहम्मद ख़ान (भोपाल रियासत के संस्थापक)
  • निर्माण वर्ष: 1726 ईस्वी
  • नाम का कारण: अपनी पत्नी बीवी फतेह के नाम पर ‘फतेहगढ़’ नाम रखा गया।
  • दोस्त मोहम्मद ख़ान के बाद उनके उत्तराधिकारी यार मोहम्मद खान और फिर फैज़ मोहम्मद खान ने इस किले पर शासन किया।

20. रानी कमलापति पैलेस और स्टेशन

नवीनतम परिवर्तनों के बाद यह स्टेशन स्मार्ट सुविधाओं से लैस हो गया है। इसके पास बना कमलापति पैलेस इतिहास की झलक देता है।

विषयजानकारी
निर्माण वर्ष (महल)1722 ई.
निर्मातारानी कमलापति (गोंड शासक निजाम शाह की पत्नी)
स्थानकमला पार्क, भोपाल
विशेषता (महल)3 मंजिलें पानी में डूबी, जल समाधि स्थल
रेलवे स्टेशनरानी कमलापति रेलवे स्टेशन (पूर्व: हबीबगंज)
स्टेशन की विशेषताभारत का पहला विश्व स्तरीय निजी रेलवे स्टेशन, एयरपोर्ट जैसी सुविधाएं

भोपाल क्यों है खास?

भोपाल की खासियत उसकी विविधता में है — जहाँ एक ओर प्राचीन संस्कृति की झलक है, वहीं दूसरी ओर आधुनिकता का स्पर्श भी। झीलों की नगरी के रूप में प्रसिद्ध यह शहर न सिर्फ़ देखने में सुंदर है, बल्कि इसके लोग भी बेहद मिलनसार और आतिथ्यभाव से भरपूर हैं।

यात्रा सुझाव (Travel Tips):

  • भोपाल घूमने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च तक है।
  • शहर में लोकल ट्रांसपोर्ट (ऑटो, कैब, मेट्रो) की अच्छी सुविधा उपलब्ध है।
  • वाटर बोटिंग, ट्रैकिंग और म्यूज़ियम विज़िट के लिए टिकट्स ऑनलाइन या ऑन-साइट मिल जाते हैं।
  • स्थानीय व्यंजन जैसे भोपाली कबाब, बिरयानी और पोहे जरूर चखें।

निष्कर्ष :

भोपाल सिर्फ़ एक शहर नहीं, एक अनुभव है — झीलों, इतिहास, कला और संस्कृति का ऐसा संगम, जो आपको बार-बार बुलाएगा। अगर आप भारत की आत्मा को महसूस करना चाहते हैं, तो इन 20 अद्भुत Bhopal Paryatan Sthal को अपनी यात्रा सूची में अवश्य शामिल करें। यकीन मानिए, यह यात्रा आपके जीवन की सबसे खूबसूरत यादों में से एक बन जाएगी।

FAQ


सांची स्तूप की भव्यता क्यों विश्व धरोहर स्थल है?

Ans. Bhopal Paryatan sthal :  सांची स्तूप की भव्यता और ऐतिहासिक महत्व ही इसे विश्व धरोहर स्थल बनाते हैं। यह स्तूप भारत की सबसे प्राचीन पत्थर संरचनाओं में से एक है, जिसका निर्माण सम्राट अशोक ने तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए करवाया था | स्तूप का विशाल अर्धगोलाकार गुंबद, चारों ओर बनी वेदिका (बाड़), और चारों दिशाओं में बने भव्य तोरण द्वार इसकी स्थापत्य कला को अद्वितीय बनाते हैं |
लगभग 1300 वर्षों तक लगातार इसमें विभिन्न शासकों द्वारा निर्माण और विस्तार होता रहा, जिससे यह स्थल ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण बन गया |  1989 में यूनेस्को ने सांची स्तूप को विश्व धरोहर स्थल घोषित किया, क्योंकि यह न केवल भारतीय बल्कि वैश्विक सांस्कृतिक विरासत का अद्भुत उदाहरण है |

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