Azamgarh me ghumne ki jagah: आजमगढ़ उत्तर प्रदेश के पूर्वी हिस्से में स्थित एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से समृद्ध जिला है। यह जिला तमसा नदी के तट पर स्थित है और इसका मुख्यालय भी आज़मगढ़ शहर में है। भौगोलिक दृष्टि से, आज़मगढ़ उत्तर प्रदेश के पूर्वी हिस्से में स्थित है। यह जिला लखनऊ-बलिया राज्य राजमार्ग पर स्थित है और लखनऊ से लगभग 269 किमी दूर है। आजमगढ़ का इतिहास प्राचीन और विविधतापूर्ण है। यह क्षेत्र कभी कोसला साम्राज्य का हिस्सा था, जो बुद्ध के समय में एक प्रमुख राज्य था। इसके बाद, यह मल्ल साम्राज्य का हिस्सा बना। आजमगढ़ जिले में प्राचीन अवशेषों की कमी है, लेकिन इसका ऐतिहासिक महत्व निर्विवाद है। इसका क्षेत्रफल 4,054 वर्ग किलोमीटर ,औसत ऊँचाई: 64 मीटर (209 फीट) है | आर्द्र उपोष्णकटिबंधीय जलवायु, जिसमें गर्मियों में तापमान 22°C से 46°C और सर्दियों में 5°C के आसपास रहता है। यहाँ की मुख्य नदियाँ: घाघरा, टोंस, उदंती, और बेरू है | आजमगढ़ को “कैफ़ी आज़मी नगर” के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि यहाँ के मशहूर उर्दू शायर कैफ़ी आज़मी का जन्म हुआ था। यह जिला साहित्य, संगीत, और कला के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण योगदान देता है। यहाँ के लोग शिक्षा के प्रति जागरूक हैं और कई शैक्षिक संस्थान यहाँ स्थापित हैं। आजमगढ़ जिले में 8 तहसीलें, 22 विकासखंड, 13 नगर पालिकाएँ और 26 पुलिस स्टेशन हैं। इसमें कुल 4,101 गाँव स्थित हैं। यह जिला आज़मगढ़ मण्डल का मुख्यालय भी है, जिसमें मऊ और बलिया जिले शामिल हैं।
आजमगढ़ में वस्त्र उद्योग विशेष रूप से रेशमी साड़ियों के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ की साड़ियों में “पल्लू” पर रेशमी कढ़ाई का बेहतरीन समायोजन किया जाता है। इसके अलावा, काली मिट्टी के बर्तन, हथकरघा, और खाद्य प्रसंस्करण जैसे उद्योग भी यहाँ प्रमुख हैं।

कैसे पहुँचें: आजमगढ़ रेल और सड़क दोनों माध्यमों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। निकटतम हवाई अड्डा वाराणसी में है।
सर्वोत्तम समय: अक्टूबर से मार्च के बीच का समय सबसे अच्छा होता है।
कहाँ ठहरें: आजमगढ़ में बजट से लेकर मिड-रेंज होटल उपलब्ध हैं।
यहां कई ऐसे स्थल हैं जो आपको प्रकृति, इतिहास और लोक संस्कृति का अद्भुत अनुभव कराते हैं। इस लेख में हम जानेंगे “Azamgarh me ghumne ki jagah” के अंतर्गत आने वाली 10 प्रमुख जगहों के बारे में, जो आपकी यात्रा को यादगार बना सकती हैं।
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आजमगढ़ पहुँचने के साधन और वहाँ के बजट रेस्टोरेंट्स
साधन (आजमगढ़ पहुँचने के) | विवरण | बजट (लगभग) | रेस्टोरेंट्स (बजट में) | औसत खर्च (प्रति व्यक्ति) |
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ट्रेन | आजमगढ़ रेलवे स्टेशन, प्रमुख शहरों से सीधी ट्रेनें उपलब्ध (दिल्ली, लखनऊ, बनारस) | ₹200 – ₹800 (स्लीपर क्लास) | अन्नपूर्णा भोजनालय, शिवा भोजनालय, गुप्ता रेस्टोरेंट | ₹100 – ₹200 |
बस | उत्तर प्रदेश राज्य परिवहन की बस सेवाएँ उपलब्ध हैं | ₹300 – ₹600 | पंजाबी ढाबा, बद्रीनाथ भोजनालय | ₹80 – ₹150 |
टैक्सी / कैब | निजी कैब्स ओला/उबर (निकटतम बड़े शहरों से) | ₹2000 – ₹5000 | साईं रेस्टोरेंट, आजमगढ़ किचन | ₹150 – ₹250 |
निजी वाहन | अपनी गाड़ी से (दिल्ली से लगभग 800 किमी) | ₹3000 – ₹5000 (ईंधन) | वही उपरोक्त | वही उपरोक्त |
1. ठेकमा किला (Thekma Fort)(Azamgarh me ghumne ki jagah)
ठेकमा किला (Thekma Fort) उत्तर प्रदेश के आज़मगढ़ जिले में स्थित एक ऐतिहासिक किला है, जो अपनी प्राचीनता और ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है। यह किला आज़मगढ़ शहर से लगभग 25 किलोमीटर दूर स्थित ठेकमा गाँव में स्थित है। ठेकमा किला मुघल काल का एक महत्वपूर्ण किला है, जिसे मुग़ल सम्राट अकबर के शासनकाल में बनवाया गया था। किले की स्थापत्य कला और उसकी संरचना उस समय की सैन्य रणनीतियों और वास्तुकला को दर्शाती है। किले के भीतर बने विभिन्न कमरे, बुरुज और दीवारें उस समय की युद्धकला और संरक्षण की तकनीकों को प्रदर्शित करते हैं। जलाशय और जल प्रबंधन: किले के भीतर जलाशयों की व्यवस्था की गई थी, जिससे पानी की आपूर्ति सुनिश्चित होती थी। यह विशेषता किले की आत्मनिर्भरता को दर्शाती है। प्राकृतिक सौंदर्य: किले के आसपास के क्षेत्र में हरियाली और वन्य जीवन का आनंद लिया जा सकता है।
कैसे पहुँचें: आज़मगढ़ शहर से ठेकमा गाँव तक पहुँचने के लिए निजी वाहन या टैक्सी की सुविधा उपलब्ध है।
सर्वोत्तम समय: किले की यात्रा के लिए अक्टूबर से मार्च तक का समय उपयुक्त है, जब मौसम ठंडा और सुखद होता है।
सुविधाएँ: किले के आसपास बुनियादी सुविधाएँ जैसे पानी, स्नानघर और विश्राम स्थल उपलब्ध हैं।
किले की यात्रा के दौरान देखने योग्य स्थल : किले की दीवारें और बुरुज, जलाशय ,पुराने दरवाजे, खंडहर, और स्थानीय गाइड से सुनाई जाने वाली ऐतिहासिक कहानियाँ।|आश्रम में एक बड़ा पुस्तकालय है, जिसमें प्राचीन ग्रंथ और धर्मशास्त्र की पुस्तकें उपलब्ध हैं।
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2. दुर्वासा आश्रम
उत्तर प्रदेश के आज़मगढ़ जिले के फूलपुर तहसील के गजड़ी गाँव में स्थित दुर्वासा ऋषि आश्रम एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। यह स्थान तमसा और मंजूषा नदियों के संगम पर स्थित है, जो इसे धार्मिक दृष्टि से अत्यधिक पवित्र बनाता है । पौराणिक कथाओं के अनुसार, महर्षि दुर्वासा ने 12 वर्ष की आयु में चित्रकूट से इस स्थान पर आकर कई वर्षों तक घोर तपस्या की थी। सतयुग, त्रेतायुग और द्वापर युग में महर्षि दुर्वासा का स्थान श्रेष्ठ माना गया है । यह स्थल भगवान शिव और माता पार्वती से भी गहरे संबंध रखता है, और यहां भगवान राम द्वारा स्थापित शिवलिंग की मान्यता भी है । आश्रम में एक बड़ा पुस्तकालय है, जिसमें प्राचीन ग्रंथ और धर्मशास्त्र की पुस्तकें उपलब्ध हैं। हर साल कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर यहां तीन दिवसीय मेला आयोजित होता है, जिसमें लगभग 2 से 3 लाख श्रद्धालु स्नान और पूजा-अर्चना के लिए आते हैं। इसके अलावा, श्रावण और अन्य प्रमुख पर्वों पर भी विशेष आयोजन होते हैं ।
यहां आने वाले भक्तों के लिए पंचकोसी परिक्रमा करना अनिवार्य माना जाता है। यह परिक्रमा तमसा और मंजूषा नदियों के किनारे स्थित तीन प्रमुख आश्रमों—दुर्वासा, दत्तात्रेय और चंद्रमा मुनि आश्रम—की परिक्रमा करके पांच कोस की दूरी तय की जाती है। इस परिक्रमा के बिना यात्रा अधूरी मानी जाती है ।
कैसे पहुँचें
स्थान: गजड़ी गाँव, फूलपुर तहसील, आज़मगढ़ जिला, उत्तर प्रदेश
निकटतम रेलवे स्टेशन: फूलपुर रेलवे स्टेशन (लगभग 6 किलोमीटर)
निकटतम हवाई अड्डा: लखनऊ एयरपोर्ट (लगभग 270 किलोमीटर)
3. मुक्ति धाम – राजघाट(Azamgarh me ghumne ki jagah)
घाघरा नदी के तट पर स्थित मुक्ति धाम आज़मगढ़ का एक प्रमुख धार्मिक स्थल है। यहाँ श्रद्धालु अपने पूर्वजों का पिंडदान और तर्पण करते हैं। यह जगह न केवल धार्मिक बल्कि शांतिप्रिय पर्यटन स्थल के रूप में जानी जाती है।मुक्तिधाम – राजघाट, आजमगढ़ शहर से लगभग 15 किलोमीटर दूर स्थित है और यह मुख्यतः अंतिम संस्कार की प्रक्रिया के लिए उपयोग होता है।
यात्रा सुझाव: यहाँ सुबह-सुबह का समय बहुत शांत और दिव्य अनुभव देता है।
कैसे पहुँचें
रेल मार्ग: निकटतम रेलवे स्टेशन आजमगढ़ है, जो लगभग 15 किलोमीटर दूर है।
सड़क मार्ग: आजमगढ़ से राजघाट तक पहुँचने के लिए निजी वाहन या ऑटो की सुविधा उपलब्ध है।
वायु मार्ग: निकटतम हवाई अड्डा वाराणसी है, जो लगभग 100 किलोमीटर दूर है।
4. सरयू नदी घाट
उत्तर प्रदेश के पूर्वी क्षेत्र में स्थित आजमगढ़ जिला, अपनी ऐतिहासिक धरोहर और धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। इनमें से एक प्रमुख स्थल है सरयू नदी घाट, जो न केवल प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है, बल्कि धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। सरयू नदी घाट का धार्मिक महत्व अत्यधिक है। यह स्थल महर्षि विश्वामित्र के साथ भगवान राम और लक्ष्मण के आगमन से जुड़ा हुआ है। कहा जाता है कि राम और लक्ष्मण महर्षि विश्वामित्र के साथ सरयू नदी के किनारे स्थित इस घाट पर पहुंचे थे और राक्षसों पर विजय प्राप्ति के लिए भैरव देव की पूजा की थी। इस घटना के कारण यह स्थल धार्मिक दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है।
प्रमुख स्थल और संरचनाएँ
भैरव देव मंदिर: यह मंदिर महर्षि विश्वामित्र के साथ भगवान राम और लक्ष्मण के आगमन से जुड़ा हुआ है। यहां राक्षसों पर विजय प्राप्ति के लिए भैरव देव की पूजा की जाती है।
पाताल गंगा सरोवर: यह सरोवर भूमिगत जल स्रोत से भरता है, हालांकि उचित देखभाल के अभाव में यह अब बंद हो चुका है।
365 कुएं: मंदिर परिसर में कभी 365 कुएं थे, जो अब भग्न हो चुके हैं।
शिवलिंग और अन्य प्रतिमाएँ: मंदिर में भगवान शिव के शिवलिंग के अलावा राम, लक्ष्मण और महर्षि विश्वामित्र की प्रतिमाएँ स्थापित हैं।
5. नेहरू हॉल और पुस्तकालय
अगर आप इतिहास और साहित्य में रुचि रखते हैं, तो नेहरू हॉल और इसका पुस्तकालय ज़रूर देखें। यह जगह स्थानीय छात्रों और साहित्यप्रेमियों के लिए ज्ञान का केंद्र है।
विशेष: यहां आपको हिंदी और उर्दू साहित्य की दुर्लभ किताबें मिलेंगी।
6. निज़ामाबाद – ब्लैक पॉटरी की नगरी
निज़ामाबाद गाँव आज़मगढ़ जिले का गौरव है। यह गांव अपनी अनोखी काली मिट्टी की पॉटरी (Black Pottery) के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध है। यहाँ के कारीगरों की कला देखते ही बनती है।
क्या खरीदें: काले रंग के फूलदान, दीये और शोपीस।
7. लालगंज का हाट बाजार(Azamgarh me ghumne ki jagah)
लालगंज हाट बाजार उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के लालगंज कस्बे में स्थित एक प्रमुख व्यापारिक केंद्र है। यह बाजार स्थानीय निवासियों के लिए आवश्यक वस्त्र, खाद्य सामग्री, घरेलू सामान, कृषि उत्पाद, मछली, मुर्गा, मांस, फल, सब्जियाँ, मसाले, बर्तन, स्टेशनरी, और अन्य दैनिक उपयोग की वस्तुओं की खरीदारी के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल है।
दुर्गा पूजा मेला: यह मेला लालगंज, मेंहनगर, माहुल, और जाफरपुर में आयोजित होता है। इस दौरान भव्य पंडालों की सजावट, रंग-बिरंगी लाइटों की छटा, और भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिलती है। रूट डायवर्जन की व्यवस्था की जाती है ताकि यातायात सुचारू रूप से चल सके।
8. अतरौलिया का शिव मंदिर(Azamgarh me ghumne ki jagah)
अतरौलिया गाँव में स्थित यह प्राचीन शिव मंदिर श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए समान रूप से आकर्षण का केंद्र है। सावन के महीने में यहाँ श्रद्धालुओं की भारी भीड़ होती है।
यात्रा सुझाव: सावन और महाशिवरात्रि पर विशेष आयोजन होते हैं।
9. हरिहरपुर – संगीत की नगरी(Azamgarh me ghumne ki jagah)
यह गाँव भारतीय शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में एक पहचान रखता है। यहाँ के घराने ने कई महान संगीतज्ञों को जन्म दिया है। संगीत प्रेमियों के लिए यह गाँव किसी तीर्थ से कम नहीं।
खास बात: हरिहरपुर घराने की परंपरा आज भी जीवित है।
10. आजमगढ़ का स्थानीय भोजन और मिठाइयाँ(Azamgarh me ghumne ki jagah)
अगर घूमने के साथ खाने का भी शौक है, तो आज़मगढ़ आपके लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं। यहाँ की “तुलसी हलवाई की जलेबी”, “गोंद के लड्डू”, और “देशी घी की पूड़ी-सब्जी” ज़रूर ट्राय करें।
खास स्थान: सिविल लाइंस और नरौली के पास कई प्रसिद्ध मिठाई की दुकानें हैं।
निष्कर्ष
“Azamgarh me ghumne ki jagah” की खोज केवल एक यात्रा नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक और ऐतिहासिक अनुभव है। यहाँ के लोग, यहाँ की भाषा, खाना, हस्तशिल्प, और धार्मिक स्थल – सब मिलकर इसे एक अनोखा पर्यटन स्थल बनाते हैं। अगर आप शांति, संस्कृति और इतिहास को एक साथ जीना चाहते हैं, तो आज़मगढ़ की यात्रा जरूर करें।
FAQ
महर्षि दुर्वासा और गौतम ऋषि के धाम में क्या खास है?
Ans. महर्षि दुर्वासा धाम (आजमगढ़)
Azamgarh me ghumne ki jagah: यह धाम तमसा और मंजूषा नदी के संगम पर स्थित है, जिसे प्राचीन काल से ही अत्यंत पवित्र और तपस्वियों की भूमि माना जाता है। यहाँ महर्षि दुर्वासा ने सतयुग, त्रेतायुग और द्वापर युग में घोर तपस्या की थी और माना जाता है कि उन्होंने 88,000 ऋषियों के साथ यज्ञ और साधना की थी।
गौतम ऋषि धाम
गौतम ऋषि धाम भी आजमगढ़ जिले में स्थित है और पौराणिक महत्व रखता है। यह स्थल ऋषि गौतम की तपोभूमि के रूप में जाना जाता है।
विशेष आकर्षण
दोनों ही धामों में हर वर्ष मेले और धार्मिक अनुष्ठान होते हैं, जिनमें दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं।