Top 15 Chitrakoot Paryatan Sthal: अद्भुत यात्रा अनुभव

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चित्रकूट (Chitrakoot paryatan sthal) एक प्रसिद्ध धार्मिक और ऐतिहासिक स्थल है, जो उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सीमा पर बसा है। यह स्थान रामायण काल से जुड़ा हुआ है और भगवान श्रीराम, सीता माता और लक्ष्मण जी के 11 वर्षों के वनवास का प्रमुख स्थल माना जाता है।

1. चित्रकूट का इतिहास (Chitrakoot ka Itihaas)(chitrakoot paryatan sthal)

chitrakoot

चित्रकूट भारत का एक प्राचीन और पवित्र तीर्थ स्थल है, जो उत्तर प्रदेश के चित्रकूट ज़िले और मध्य प्रदेश के सतना ज़िले में फैला हुआ है। इसका नाम संस्कृत शब्दों “चित्र” और “कूट” से मिलकर बना है, जिसका अर्थ होता है – “चित्रों से सुसज्जित पर्वत”। यह स्थान धार्मिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। यहीं पर भरत भगवान राम को अयोध्या लौटाने आए थे। यह प्रसंग भरत मिलाप के नाम से प्रसिद्ध है। चित्रकूट को भगवान राम की तपस्थली और धर्मभूमि कहा जाता है। चित्रकूट में कई ऋषि-मुनियों ने तप किया था, जैसे: अत्रि मुनि और सती अनुसूया, मांडव्य ऋषि, शरभंग ऋषि | यहाँ पर अनेक आश्रम और गुफाएँ हैं जो इन ऋषियों की याद दिलाते हैं। चित्रकूट गुप्त काल (4वीं–6ठीं सदी) में एक धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्र था। यहाँ पर वैदिक शिक्षा, तप और साधना का प्रचार-प्रसार होता था। भारत रत्न नानाजी देशमुख ने चित्रकूट में ग्रामीण विकास के लिए दीनदयाल शोध संस्थान की स्थापना की, जो आज भी सक्रिय है। चित्रकूट का उल्लेख अनेक ग्रंथों में आता है: वाल्मीकि रामायण, तुलसीदास का रामचरितमानस, स्कंद पुराण, और पद्म पुराण | इन ग्रंथों में चित्रकूट को “मोक्षभूमि”, “तपभूमि” और “तीर्थराज” कहा गया है। यहाँ हर साल राम नवमी, दशहरा, और चित्रकूट मेला जैसे पर्वों पर लाखों श्रद्धालु आते हैं।

2. चित्रकूट के प्रमुख धार्मिक और पर्यटक स्थल:(chitrakoot paryatan sthal)

1. कामदगिरि पर्वत (Kamadgiri Parvat)

यह पर्वत चित्रकूट(chitrakoot paryatan sthal) का सबसे पवित्र स्थान माना जाता है। मान्यता है कि भगवान राम ने यहीं निवास किया था। श्रद्धालु इसकी 5 किमी की परिक्रमा करते हैं, जिससे पापों का नाश होता है और मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं।

2. राम घाट (Ram Ghat)

यह मंदाकिनी नदी के किनारे स्थित है। भगवान राम, सीता और लक्ष्मण यहाँ स्नान करते थे। यहाँ की शाम की आरती बहुत प्रसिद्ध और मनमोहक होती है।

3. भरतकूप (Bharat Koop)(chitrakoot paryatan sthal)

यह एक विशाल कुआँ है जहाँ भरत जी ने राम को अयोध्या लाने से पहले पवित्र तीर्थों का जल एकत्र किया था। धार्मिक दृष्टि से यह अत्यंत पावन स्थान है।

4. सती अनुसूया आश्रम (Sati Anusuya Ashram)

यह स्थान अत्रि मुनि और सती अनुसूया का आश्रम रहा है। मान्यता है कि यहीं त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु और महेश) बाल रूप में प्रकट हुए थे। यह आश्रम बहुत शांति और आध्यात्मिकता से भरा है।

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5. हनुमान धारा (Hanuman Dhara)(chitrakoot paryatan sthal)

यह एक पहाड़ी पर स्थित है, जहाँ से एक प्राकृतिक जलधारा बहती है। कहते हैं, हनुमान जी ने यहाँ तप किया और जलधारा से शांति पाई। पहाड़ी पर चढ़ाई थोड़ी कठिन है, लेकिन ऊपर से दृश्य अत्यंत सुंदर है।

6. गुप्त गोदावरी (Gupt Godavari)

दो प्राकृतिक गुफाएँ हैं, जिनमें से एक में पानी बहता है। मान्यता है कि भगवान राम और लक्ष्मण यहाँ न्याय करते थे। यह जगह रहस्यमयी और रोमांचक भी लगती है।

7. स्फटिक शिला (Sphatik Shila)

chitrakoot paryatan sthal यह मंदाकिनी नदी के किनारे एक चमकदार पत्थर है। कहा जाता है कि राम और सीता यहाँ बैठा करते थे। आज भी यहाँ उनके चरण चिह्न दिखाई देते हैं।

8. जनकपुरी (Janakpuri)(chitrakoot paryatan sthal)

चित्रकूट से कुछ दूरी पर, इसे माता सीता का मायका कहा जाता है। यहाँ पर भी धार्मिक स्थल और मंदिर स्थित हैं।

9. चित्रकूट टाइगर रिजर्व / देवांगना

प्रकृति प्रेमियों और वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर्स के लिए बेहतरीन जगह। यहाँ टाइगर, चीतल, नीलगाय और कई पक्षी देखे जा सकते हैं।

3.चित्रकूट के प्रमुख मंदिर (Chitrakoot ke Mandir)

चित्रकूट में कई प्रसिद्ध और पावन मंदिर हैं, जो धार्मिक, ऐतिहासिक और पौराणिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। यहाँ भगवान राम, सीता माता, लक्ष्मण जी, हनुमान जी और अन्य देवताओं से जुड़े अनेक मंदिर स्थित हैं।

1. कामदगिरि मंदिर (Kamadgiri Mandir)

2. हनुमान धारा मंदिर (Hanuman Dhara Mandir)

3. सती अनुसूया मंदिर (Anusuya Mandir)

4. रामदरबार मंदिर (Ram Darbar Mandir)

5. गुप्त गोदावरी मंदिर (Gupt Godavari Mandir)

6. भरत मिलाप मंदिर (Bharat Milap Mandir)

7. स्पटिक शिला मंदिर (Sphatik Shila)

कुछ अन्य मंदिर:

4.चित्रकूट में भरत जी की उपस्थिति (Chitrakoot Mein Bharat)

चित्रकूट में भरत जी की भूमिका बहुत ही विशेष और भावनात्मक है। भरत का चरित्र त्याग, भक्ति और भाई के प्रति अगाध प्रेम का प्रतीक माना जाता है। रामायण में वर्णित चित्रकूट का सबसे मार्मिक प्रसंग “भरत मिलाप” यहीं हुआ था।

भरत मिलाप का प्रसंग:

जब अयोध्या लौटे भरत को यह पता चला कि उनकी माता कैकयी की वजह से राम जी को वनवास मिला, तो वे बहुत दुखी हुए। उन्होंने तुरंत ही राम जी को राजगद्दी लौटाने के लिए चित्रकूट की यात्रा की। उनके साथ माता कौशल्या, सुमित्रा, गुरु वशिष्ठ, जनक आदि भी आए थे।

भरत मिलाप स्थल:

चित्रकूट में वह स्थान जहाँ भरत और राम की भेंट हुई थी, उसे “भरत मिलाप मंदिर” कहा जाता है। यह स्थान कामदगिरि पर्वत के पास स्थित है। यहाँ एक पवित्र शिला (पत्थर) है जहाँ माना जाता है कि दोनों भाइयों ने एक-दूसरे को गले लगाया था।

भरत कूप (Bharat Koop):

जब भरत राम को वापस लाने चित्रकूट आए, तो उन्होंने रास्ते में सभी तीर्थों का जल इकट्ठा किया। उस जल को एक विशाल कुएं में रखा गया, जिसे भरत कूप कहते हैं।

भरत का आदर्श चरित्र:

भरत ने राम जी की आज्ञा से अयोध्या की राजगद्दी पर बैठने से इनकार कर दिया। उन्होंने राम जी की खड़ाऊँ (चप्पल) को सिंहासन पर रखकर 14 वर्षों तक राज्य चलाया, खुद एक वनवासी की तरह रहे। यह त्याग और भक्ति उन्हें “मर्यादा और आदर्श भाई” का प्रतीक बनाता है।

5.चित्रकूट के बजट होटल (Budget Hotels in Chitrakoot)

होटल का नामस्थानअनुमानित कीमत (₹/रात)सुविधाएँ
Hotel Nirmalजंकी कुंड, चित्रकूट₹99924 घंटे रूम सर्विस, फ्री कैंसलेशन
Hotel Mandakini The Heritageजंकी कुंड, चित्रकूट₹1,808रेस्तरां, 24 घंटे रूम सर्विस
Hotel Yatrikaजंकी कुंड, चित्रकूट₹1,300रेस्तरां, बोनफायर, फायरप्लेस
Hotel Rajकामतानाथ मंदिर के पास₹2,378रेस्तरां, रूम सर्विस
Hotel Kesarजंकी कुंड, चित्रकूट₹1,799रेस्तरां, 24 घंटे रूम सर्विस
Hotel Chitrakoot Darshanराम कुटी आश्रम के सामने₹1,999नजदीकी मंदिरों के पास

6.चित्रकूट के बजट भोजनालय (Budget Restaurants in Chitrakoot)

भोजनालय का नामस्थानअनुमानित कीमत (₹)विशेषता
शंकर भोजनालयचित्रकूट मुख्य मार्ग₹70–₹120शाकाहारी थाली, स्थानीय स्वाद
संत का भोजनालयचित्रकूट मुख्य मार्ग₹100–₹150सात्विक भोजन, शुद्ध सामग्री
काजू दाल मखानीचित्रकूट मुख्य मार्ग₹150–₹200दाल मखानी, तंदूरी रोटियां
बाबा जी का सात्विक भोजनालयचित्रकूट मुख्य मार्ग₹120–₹180आलू बैगन का भर्ता, बाजरे की रोटी

7.चित्रकूट का पारंपरिक भोजन (Traditional Food of Chitrakoot):

चित्रकूट का भोजन (Chitrakoot Ka Bhojan) बहुत ही सरल, सात्विक और पारंपरिक भारतीय स्वाद से भरपूर होता है। यहाँ का खाना मुख्यतः शाकाहारी होता है, क्योंकि यह एक धार्मिक स्थल है। भोजन में उत्तर भारत की झलक साफ दिखाई देती है – रोटी, दाल, चावल, सब्ज़ी और देसी घी का प्रयोग आम है।

व्यंजन का नामविवरण
पूड़ी-सब्ज़ीत्योहारों और मंदिरों में सबसे ज़्यादा मिलने वाला भोजन।
कढ़ी-चावलहल्का और स्वादिष्ट भोजन, दोपहर में आम तौर पर खाया जाता है।
दाल-चावल-रोटी-सब्ज़ीरोज़ाना का सामान्य सात्विक भोजन।
खिचड़ीउपवास या हल्के भोजन के रूप में पसंद किया जाता है।
मक्खन व मिस्सी रोटीदेसी स्वाद से भरपूर, खासकर सर्दियों में।
पराठा और अचारसुबह के नाश्ते में प्रचलित।

8. मिठाइयाँ और खास व्यंजन:

मिठाई/व्‍यंजनविशेषता
लड्डूमंदिरों में प्रसाद के रूप में मिलता है।
हलवाविशेष रूप से धार्मिक अवसरों पर बनाया जाता है।
पेड़ास्थानीय दुकानों पर आसानी से उपलब्ध।
सातू का शरबत/लड्डूगर्मियों में सेहतमंद और स्वादिष्ट।
चना-चबेनायात्रा के दौरान हल्का नाश्ता।

9.सात्विक भोजनालयों और आश्रमों में भोजन:

चित्रकूट में कई आश्रम और धार्मिक भोजनालय (लंगर/भंडारा) हैं जहाँ:

10.चित्रकूट धाम का महत्व (chitrakoot paryatan sthal)

चित्रकूट धाम एक पवित्र धार्मिक स्थल है, जिसे “तीर्थराज” यानी तीर्थों का राजा भी कहा जाता है। यह उत्तर प्रदेश के चित्रकूट ज़िले और मध्य प्रदेश के सतना ज़िले की सीमा पर स्थित है। चित्रकूट का ऐतिहासिक, धार्मिक और प्राकृतिक महत्त्व इतना अधिक है कि यह सिर्फ एक तीर्थ नहीं, बल्कि आध्यात्मिक अनुभूति का केंद्र है। इस स्थान का वर्णन वाल्मीकि रामायण, रामचरितमानस, और अन्य पुराणों में भी मिलता है।

चित्रकूट धाम के प्रमुख धार्मिक स्थल:

स्थल का नामविवरण
कामदगिरि पर्वतभगवान राम का निवास स्थल, यहाँ की परिक्रमा अत्यंत पुण्यदायी मानी जाती है।
राम घाटमंदाकिनी नदी के किनारे स्थित, यहाँ श्रीराम स्नान करते थे।
हनुमान धाराजलधारा जहां हनुमान जी ने तपस्या की थी।
गुप्त गोदावरीदो गुफाएं, जहाँ राम और लक्ष्मण ने राज्य संचालन किया था।
भरत कूपभरत द्वारा लाए गए तीर्थों के जल को समर्पित कुआँ।
सती अनुसूया आश्रमअनुसूया माता और अत्रि मुनि का पावन स्थल।
स्फटिक शिलामंदाकिनी तट पर स्थित वह पत्थर जहाँ राम-सीता बैठते थे।

धार्मिक और आध्यात्मिक गतिविधियाँ:

11.चित्रकूट के प्रसिद्ध झरने (Chitrakoot Waterfalls)

चित्रकूट धार्मिक स्थलों के साथ-साथ प्राकृतिक सुंदरता के लिए भी प्रसिद्ध है, और यहाँ के कुछ झरने (Waterfalls) पर्यटकों को बहुत आकर्षित करते हैं। हालाँकि चित्रकूट में झरनों की संख्या बहुत अधिक नहीं है, लेकिन जो भी हैं, वे आध्यात्मिक और प्राकृतिक दृष्टि से काफी खास हैं।

1. हनुमान धारा (Hanuman Dhara Waterfall)

चित्रकूट का सबसे प्रसिद्ध झरना। यह एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित है, जहाँ एक चट्टान से ठंडा जल गिरता है। मान्यता है कि लंका दहन के बाद हनुमान जी ने यहाँ तपस्या की थी, और यह जलधारा उन्हें ठंडक देने के लिए प्रकट हुई। यहाँ तक पहुँचने के लिए लगभग 360 सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ती हैं।

2. गुप्त गोदावरी जलधारा (Gupt Godavari Stream)

यह एक प्राकृतिक जलधारा है जो गुफा के भीतर से बहती है। पानी घुटनों तक रहता है, और गुफा में चलना एक अलग ही एहसास देता है।

3. सती अनुसूया जलधारा (Sati Anusuya Waterfall)

यह झरना सती अनुसूया आश्रम के पास स्थित है। मानसून के समय यहाँ एक छोटा सुंदर झरना बहता है, जो हरे-भरे जंगलों के बीच से आता है। बहुत ही शांत और ध्यान के लिए उपयुक्त स्थान।

12.चित्रकूट घूमने का सर्वोत्तम समय:

अक्टूबर से मार्च (शरद और शीत ऋतु) | तापमान: 10°C से 25°C के बीच | इस समय पर्यटक और श्रद्धालु बिना गर्मी की परेशानी के सभी स्थलों का भ्रमण कर सकते हैं।

त्योहारों और मेलों का समय:

पर्व/मेलासमयविशेषता
राम नवमीमार्च/अप्रैलराम जन्मोत्सव, बड़ा मेला, भक्ति माहौल
माघ मेलाजनवरी/फरवरीमंदाकिनी तट पर मेला, स्नान, कथा
दशहरासितंबर/अक्टूबरराम लीला, झांकियाँ, विशेष पूजा
दीपावलीअक्टूबर/नवंबरराम का अयोध्या लौटना, दीप सज्जा
श्रावण मासजुलाई/अगस्तहनुमान धारा, शिव मंदिरों में भीड़

13. चित्रकूट घूमने की आदर्श अवधि: 2 से 3 दिन

14. चित्रकूट एयरपोर्ट (Chitrakoot Airport)

चित्रकूट इंटरनेशनल एयरपोर्ट (Chitrakoot International Airport) | यह एयरपोर्ट उत्तर प्रदेश के चित्रकूट जिले में स्थित है। मुख्य शहर करवी से लगभग 20–25 किमी की दूरी पर स्थित है।

मुख्य शहर करवी से लगभग 20–25 किमी की दूरी पर स्थित है।

माध्यमदूरीसमय
टैक्सी/कैब~25 किमी30–40 मिनट
ऑटो रिक्शाउपलब्धकम दूरी के लिए

नजदीकी बड़े एयरपोर्ट (यदि चित्रकूट एयरपोर्ट से सेवा न मिले):

एयरपोर्टदूरी (किमी में)शहर
प्रयागराज एयरपोर्टलगभग 115 किमीप्रयागराज
खजुराहो एयरपोर्टलगभग 180 किमीमध्य प्रदेश
वाराणसी एयरपोर्टलगभग 270 किमीवाराणसी


चित्रकूट के कामदगिरी का क्या इतिहास है?

चित्रकूट के कामदगिरी का इतिहास और महत्व निम्नलिखित बिंदुओं में समझा जा सकता है:
पौराणिक उत्पत्ति
कामदगिरी का नामकरण भगवान राम द्वारा किया गया, जिन्होंने वनवास के दौरान यहाँ 11 वर्ष 7 माह बिताए। जब राम यहाँ से जाने लगे, तो पर्वत ने उनसे वरदान माँगा कि उनके जाने के बाद भी लोग इसे याद रखें। इस पर राम ने इसे “कामदगिरी” (मनोकामनाएँ पूर्ण करने वाला) नाम दिया
दिव्य संरचना
चार द्वार एवं द्वारपाल:
उत्तर: कुबेर
दक्षिण: धर्मराज
पूर्व: इंद्र
पश्चिम: वरुण

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