20 शानदार himachal pradesh paryatan sthal जो मन मोह लें

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Himachal Pradesh paryatan sthal: हिमाचल प्रदेश, जिसे “देवभूमि” या देवताओं की भूमि के नाम से भी जाना जाता है, भारत के उत्तर-पश्चिमी हिस्से में स्थित एक सुरम्य पर्वतीय राज्य है। हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला है | हिमाचल प्रदेश की खूबसूरती देखते ही बनती है | यहाँ की नदिया, पहाड़िया और ऊंचे-ऊंचे पर्वत इसके खूबसूरती में चार चाँद लगाए हुए है , जो हर साल लाखो देशी तथा विदेशी पर्यटकों का भीड़ अपनी ओर आकर्षित करती है | इसकी हरियाली, बर्फ से ढकी चोटियां, शांत झरने, प्राचीन मंदिर और विविध सांस्कृतिक विरासत इसे पर्यटकों के लिए स्वर्ग बनाती है|

यह राज्य पशिचमी हिमालय की गोद में बसा हुआ है | यह पहाड़ो और नदियों से घिरा हुआ है, यहाँ की मूल नदिया रावी, चेनाब, सतलुज तथा व्यास और यमुना है | यह क्षेत्र छुट्टियां मनाने के लिए बहुत ही उपयुक्त है |

हिमाचल प्रदेश में सेबो की खेती बहुत ज्यादा होती है , इसलिय ऐसे सेबो के राज्य के रूप में जाना जाता है | हिमाचल प्रदेश का वातावरण बहुत ही अनुकूल होता है, यहाँ का दृश्य बहुत ही मनोहर और यहाँ की संस्कृति बहुत ही रंगीन है |

हिमाचल प्रदेश की सीमा पूर्व में उत्तरांचल, उत्तर में जम्मू-कश्मीर, पश्चिम में पंजाब, दक्षिण में उत्तर प्रदेश से लगी है।

यहाँ के 20 शानदार paryatan sthal न केवल प्राकृतिक सौंदर्य में अद्वितीय हैं, बल्कि इतिहास, भोजन, ठहरने के विकल्प, यात्रा की अवधि, सर्वोत्तम समय, पहुंचने के तरीके और निकटवर्ती स्थलों के संदर्भ में भी बेहद समृद्ध हैं। इस ब्लॉग में हम हिमाचल प्रदेश के 20 प्रमुख paryatan sthal की विस्तृत जानकारी साझा कर रहे हैं जो आपकी यात्रा को अविस्मरणीय बना देंगे।

हिमाचल प्रदेश का ट्रांसपोर्टेशन और रेस्टोरेंट बजट (प्रतिदिन का औसत)

खर्च का प्रकारबजट (INR ₹)विवरण
लोकल ट्रांसपोर्ट₹300 – ₹600बस, टैक्सी शेयरिंग, ऑटो; शहर के अंदर घूमने के लिए।
इंटरसिटी ट्रैवल₹500 – ₹1200बस (HRTC), वोल्वो या टैक्सी बुकिंग (मनाली → शिमला आदि)।
बाइक रेंट (ऑप्शनल)₹800 – ₹12001 दिन के लिए बाइक रेंटल, पेट्रोल शामिल नहीं।
पेट्रोल (बाइक के लिए)₹150 – ₹300रोजाना 30–50 किमी घूमने पर खर्च।
नाश्ता₹50 – ₹150लोकल ढाबा या छोटे होटल में।
दोपहर का भोजन₹150 – ₹300साधारण रेस्टोरेंट या ढाबा में थाली या स्नैक्स।
रात का खाना₹150 – ₹300मिड-रेंज रेस्टोरेंट या कैफे में डिनर।
चाय/कॉफ़ी + स्नैक्स₹50 – ₹100दिन भर में हल्की-फुल्की चीज़ें।

कुल अनुमानित बजट (प्रतिदिन)

श्रेणीन्यूनतम ₹अधिकतम ₹
ट्रांसपोर्टेशन₹300₹1500
भोजन/रेस्टोरेंट₹400₹850
कुल (प्रति दिन)₹700₹2350

Himachal Pradesh paryatan sthal: हिमाचल प्रदेश के 20 शानदार paryatan sthal जो मन मोह लें

1. शिमला (Himachal pradesh paryatan sthal)

Himachal pradesh paryatan sthal: शिमला, जिसे “हिल्स की रानी” (Queen of Hills) या ‘पहाड़ो की रानी’ भी कहा जाता है | शिमला हिमाचल प्रदेश की राजधानी है और भारत के सबसे लोकप्रिय हिल स्टेशनों में से एक है। यह शहर समुद्र तल से लगभग 2200 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है | यह अपनी सुंदर वादियों, औपनिवेशिक वास्तुकला, ठंडी जलवायु और ऐतिहासिक स्थलों के लिए प्रसिद्ध है। शिमला का नाम देवी श्यामला (काली माता का रूप) के नाम पर पड़ा। ब्रिटिश शासन के दौरान इसे 1864 में भारत की ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित किया गया था। अंग्रेजों ने यहाँ कई चर्च, स्कूल, और आवासीय भवन बनाए, जिनमें से कई अब भी संरक्षित हैं।

शिमला के प्रशिद्ध में मॉल रोड, रिज, टॉय ट्रेन और औपनिवेशिक वास्तुकला भी शामिल है | शिमला सबसे खूबसूरत पर्यटन में से एक है, जो हनीमून के लिए भी जाना जाता है | यहाँ खूबसूरत घटिया और पहाड़िया भी है |

शिमला हिमालय की दक्षिण-पश्चिमी श्रेणियों पर स्थित है | शिमला को सात पहाड़ियों के ऊपर बनाया गया है | शिमला के लोगों को अनौपचारिक रूप से “शिमलावासी” या (अंग्रेजी में शिमलाइट्स) के नाम जाना जाता है। शहर की अधिकांश धरोहर इमारतें अपने मूल ‘टुडोरबथन’ वास्तुकला में संरक्षित हैं। 

यहाँ आपको हिमाचली व्यंजन के साथ-साथ पंजाबी, तिब्बती और कॉन्टिनेंटल फूड भी मिलेंगे।  शिमला में लक्ज़री होटल, बजट होटल, रिसॉर्ट और होमस्टे भी उपलब्ध हैं। यहाँ का पूरा व्योरा लेने के लिए 2 से 3 दिन पर्याप्त है | यहाँ पर घूमने के लिए सर्वोत्तम समय अप्रैल से जून और सितंबर से नवंबर है |

कैसे पहुंचे: शिमला हवाई अड्डा, कालका-शिमला रेलवे (यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल), और सड़क मार्ग से।

निकटवर्ती स्थल: कुफरी, चायल, नालदेहरा

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15 शानदार Haryana Paryatan Sthal जो आपको चौंका देंगे

2. मनाली (himachal pradesh paryatan sthal)

मनाली, हिमाचल प्रदेश का एक प्रसिद्ध हिल स्टेशन व् पर्यटक स्थल है | मनाली अपनी बर्फीली चोटियों, हरे-भरे वादियों और एडवेंचर एक्टिविटीज के लिए मशहूर है। यह स्थान प्रकृति प्रेमियों, रोमांचक गतिविधियों के शौक़ीनों और शांति की तलाश करने वालों के लिए आदर्श स्थान है। मनाली समुद्रतल से लगभग 2050 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है और यह कुल्लू घाटी के प्रवेश द्वार के रूप में काम करता है। मनाली का नाम संस्कृत शब्द ‘मणि’ से लिया गया है, जिसका अर्थ है ‘मणि की भूमि’। मनाली का नाम ऋषि मणि से भी जुड़ा है। यह स्थान प्राचीन काल से धार्मिक और प्राकृतिक महत्व रखता है। यह स्थान बहुत पुराना है और यहाँ के मंदिरों और किलों से स्पष्ट होता है कि यह धार्मिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण रहा है। ब्रिटिश काल में भी मनाली पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र था, लेकिन अब यह स्थान एडवेंचर पर्यटन के लिए प्रसिद्ध है।

मनाली भारत के संस्कृति में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है | इसे सात ऋषियों का घर बताया गया है |

मनाली का मौसम सर्दियों में बहुत ठंडा और गर्मियों में हल्का ठंडा रहता है | मनाली का ठंडा मौसम भारत की चिलचिलाती गर्मी में भी राहत प्रदान करती है |

यहाँ साहसी खेलो जैसे  स्कीइंग, हाइकिंग (लंबी पैदल यात्रा), पर्वतारोहण, पैराग्लाइडिंग, राफ्टिंग, ट्रैकिंग, कायाकिंग और माउन्टेन बाइकिंग का आनंद ले सकते है |

भोजन: स्थानीय हिमाचली व्यंजन जैसे सिद्दू, चना मद्रा, तिब्बती और पंजाबी भोजन।

ठहरने का स्थान: होटल, रिसॉर्ट, होमस्टे और कैम्पिंग विकल्प।

घूमने की अवधि: 3-4 दिन

सर्वोत्तम समय (Best Time to Visit)

कैसे पहुँचें (How to Reach)

प्रमुख आकर्षण (Main Attractions

रोहतांग पास, सोलांग वैली, हिडिंबा देवी मंदिर, नग्गर किला और आर्ट गैलरी ,चंद्रताल झील, और त्रिशूल और पीर पंजाल पर्वत श्रृंखलाएं |

धर्मशाला और मैक्लोडगंज (हिमाचल प्रदेश) की जानकारी

3. धर्मशाला और मैक्लोडगंज

himachal pradesh paryatan sthal: मैक्लॉडगंज (McLeod Ganj), जिसे मकलोडगंजमैक्लोडगंज या मैकलोड गंज के नाम से भी जाना तथा लिखा जाता है | धर्मशाला और मैक्लोडगंज, हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित दो प्रमुख पर्यटन स्थल हैं। धर्मशाला को ‘छोटा ल्हासा’ भी कहा जाता है क्योंकि यह तिब्बती शरणार्थियों का प्रमुख निवास स्थान है।

यधर्मशाला और मैक्लोडगंज दोनों स्थान न केवल अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध हैं, बल्कि तिब्बती संस्कृति और दलाई लामा के निवास स्थान के रूप में भी इनकी महत्वपूर्ण पहचान है। धर्मशाला का नाम संस्कृत शब्द ‘धर्म’ (धर्म का पालन) और ‘शाला’ (स्थान) से लिया गया है, जो एक धार्मिक स्थान को दर्शाता है।

धर्मशाला ब्रिटिश काल के दौरान एक प्रमुख सैनिक और प्रशासनिक केंद्र था। यह स्थान तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा के निर्वासन के बाद से विशेष रूप से प्रसिद्ध हुआ, जब वे 1959 में चीन से भागकर यहाँ आकर बसे। वर्तमान में धर्मशाला तिब्बती संस्कृति और बौद्ध धर्म का प्रमुख केंद्र है।

यहाँ का मौसम साल भर सुहाना रहता है | यहाँ की हरियाली, ऊंची पहाड़िया, देवदार और चीड़ के वृक्ष इसको स्वर्ग के सामान बना देते हैं |

यहाँ का प्रशिद्ध व्यंजन तिब्बती व्यंजन जैसे मोमोज़, थुक्पा और स्थानीय हिमाचली भोजन है। यहाँ ठहरने के लिए होटल, गेस्ट हाउस, होमस्टे मिल जायेंगे | यहाँ घूमने के लिए 2 से 3 दिन पर्याप्त है | यहाँ पर घूमने के लिए अच्छा समय मार्च से जून और सितंबर से नवंबर है |

कैसे पहुँचें:

प्रमुख आकर्षण (Main Attractions)

तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा का आवास, भगीनी नाथ मंदिर, त्रियुंड, कांगड़ा किला और धर्मशाला स्टेडियम |

4. कसौल (himachal pradesh paryatan sthal)

कसोल, हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में पार्वती घाटी में स्थित एक छोटा लेकिन बेहद लोकप्रिय पर्यटन स्थल है। कसोल में भी सुन्दर प्रकृति का नाजारा लिया जा सकता है | यह पहड़ियो बीच में बसा छोटा सा गौण है |

यह स्थान विशेष रूप से युवाओं, ट्रैकिंग के शौकीनों और बैकपैकर्स के बीच मशहूर है। इसे अक्सर “भारत का मिनी इज़राइल” कहा जाता है क्योंकि यहाँ बड़ी संख्या में इज़राइली पर्यटक आते हैं और उनकी झलक यहाँ के कैफे, खाने और संस्कृति में दिखाई देती है।

यह पार्वती नदी के किनारे, भुंतर से लगभग 30 किमी की दूरी पर बसा है। इसकी उचाई लगभग 1580 मीटर (5184 फीट) समुद्र तल से है। 1990 के दशक के बाद से जब विदेशी पर्यटकों, खासकर इज़राइलियों ने यहाँ आना शुरू किया, तब से यह धीरे-धीरे भारत के “हिप्पी ट्रेल” का हिस्सा बन गया।

भोजन: कैफे संस्कृति, वेस्टर्न और स्थानीय भोजन।
ठहरने का स्थान: होमस्टे, छोटे होटल।
घूमने की अवधि: 2-3 दिन
सर्वोत्तम समय: मार्च से जून और सितंबर से नवंबर
कैसे पहुंचे: मनाली से सड़क मार्ग द्वारा।
निकटवर्ती स्थल: मालाना, पार्वती नदी

5. कुल्लू (himachal pradesh paryatan sthal)

जब भी हम हिमाचल प्रदेश में घूमने का प्लान बनाते हैं कुल्लू का नाम जुबान पे आ ही जाता है | कुल्लू, हिमाचल प्रदेश का एक प्रमुख और खूबसूरत पर्यटन स्थल है, जो अपनी हरी-भरी घाटियों, ऊँचे पहाड़ों, नदियों, और देवस्थलों के लिए जाना जाता है। कुल्लू हिमचाल प्रदेश में एक जिला भी है | यह पार्वती और ब्यास नदियों के संगम पर बसा हुआ है और अपने पारंपरिक उत्सवों, खासकर दशहरा महोत्सव, के लिए प्रसिद्ध है।

कुल्लू को “देवों की घाटी” (Valley of Gods) भी कहा जाता है, क्योंकि यहाँ कई पौराणिक और धार्मिक स्थलों का समावेश है। इसका समुद्र तल से उचाई लगभग 1220 मीटर (4000 फीट) है | कुल्लू का प्राचीन नाम “कुलांता पीठ” था, जिसका अर्थ है “संसार का अंतिम छोर” या रहने योग्य दुनिया का अंत। मान्यता है कि महाभारत काल में यह क्षेत्र धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण था।

कुल्लू रघुनाथ जी (भगवान राम) की भूमि मानी जाती है, और यहाँ हर साल दशहरे के दौरान रघुनाथ जी की रथ यात्रा निकलती है, जिसमें हज़ारों लोग भाग लेते हैं। यहाँ के सेब के बागान, मंदिर और दशहरा पर्यटकों को भारी मात्रा में अपनी ओर आकर्षित करते हैं |

प्रमुख आकर्षण (Main Attractions)

रघुनाथ मंदिर, ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क (GHNP), बिजली महादेव मंदिर, अखाड़ा बाजार, मणिकरण साहिब (35 किमी), कसोल (30 किमी), और लारजी डैम |

भोजन: हिमाचली व्यंजन जैसे चना मद्रा, दाल।
ठहरने का स्थान: होटल, रिसॉर्ट।
घूमने की अवधि: 2 दिन
सर्वोत्तम समय: अप्रैल से जून और सितंबर से नवंबर
कैसे पहुंचे: मनाली से सड़क मार्ग।
निकटवर्ती स्थल: मनाली, रोहतांग पास

6. बिलिंग-बीर (himachal pradesh paryatan sthal)

बीर और बिलिंग, हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित दो खूबसूरत गाँव हैं जो मिलकर एक अनोखा पर्यटन स्थल बनाते हैं। यह स्थान विशेष रूप से पैराग्लाइडिंग की विश्व राजधानी (Paragliding Capital of India) के रूप में प्रसिद्ध है।

यहाँ की शांति, तिब्बती संस्कृति, हरे-भरे पहाड़, और रोमांचकारी खेल इसे एक आदर्श एडवेंचर और स्पिरिचुअल डेस्टिनेशन बनाते हैं। बीर मूलतः एक शांतिपूर्ण गाँव है जो बौद्ध धर्म और तिब्बती संस्कृति से जुड़ा हुआ है। 1960 के दशक में तिब्बती शरणार्थियों को यहाँ बसाया गया था, जिसके कारण यह क्षेत्र एक तिब्बती आध्यात्मिक केंद्र बन गया। पैराग्लाइडिंग की शुरुआत 1980 के दशक में हुई, और अब यह अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं का स्थल बन चुका है।

यहाँ हर साल पैराग्लाइडिंग का खेल आयोजित किया जाता है | जब हम पैराग्लाइडिंग करते है तो टेक ऑफ साइड को बिलिंग कहते है जबकि लैंडिंग साइट को बीर कहा जाता हैं। इस कारण से इस शहर का नाम बीर बिलिंग के नाम से जानते हैं।

भोजन: स्थानीय और कैफे व्यंजन।
ठहरने का स्थान: होमस्टे, गेस्ट हाउस।
घूमने की अवधि: 1-2 दिन
सर्वोत्तम समय: अप्रैल से जून और सितंबर से नवंबर
कैसे पहुंचे: धर्मशाला से सड़क मार्ग।
निकटवर्ती स्थल: धर्मशाला, मैक्लोडगंज

7. लाहुल-स्पिति (himachal pradesh paryatan sthal)

लाहौल-स्पीति, हिमाचल प्रदेश का एक अद्वितीय और रहस्यमय जिला है |जिला का मुख्यालय केलांग है | जो अपनी बर्फीली घाटियों, प्राचीन बौद्ध मठों, और साहसिक पर्यटन के लिए प्रसिद्ध है। यह जिला भारत और तिब्बत की सीमा पर स्थित है और अपनी ठंडी जलवायु, ऊँची पर्वत श्रृंखलाओं और धार्मिक विविधता के कारण पर्यटकों को आकर्षित करता है।

लाहौल-स्पीति को “हिमाचल का ठंडा रेगिस्तान” कहा जाता है। यहाँ की औसत वार्षिक वर्षा केवल 170 मिमी है, जिससे यह क्षेत्र बंजर और शुष्क दिखाई देता है। स्पीति नदी इस क्षेत्र की मुख्य जलधारा है, जो किन्नौर जिले के खाब स्थान से सतलज नदी में मिलती है। चंद्र और भागा नदियाँ क्रमशः लाहौल और स्पीति घाटियों से निकलकर चिनाब नदी का निर्माण करती हैं ।

भोजन: तिब्बती और स्थानीय व्यंजन।
ठहरने का स्थान: होमस्टे, गेस्ट हाउस।
घूमने की अवधि: 4-5 दिन
सर्वोत्तम समय: जून से सितंबर
कैसे पहुंचे: मनाली से सड़क मार्ग।
निकटवर्ती स्थल: कुल्लू, मनाली

8. नारकंडा (himachal pradesh paryatan sthal)

नारकंडा (Narkanda) हिमाचल प्रदेश का एक प्रसिद्ध हिल स्टेशन है, जो शिमला जिले में स्थित है। यह समुद्र तल से लगभग 2,700 मीटर (8,900 फीट) की ऊंचाई पर बसा है और खासकर अपनी प्राकृतिक सुंदरता, सेब के बागानों और स्कीइंग के लिए प्रसिद्ध है।

सारणी

विषयविवरण
स्थितिशिमला जिले में, शिमला से लगभग 60 किमी दूर
ऊंचाई2,700 मीटर (8,900 फीट)
प्रसिद्ध के लिएबर्फबारी, स्कीइंग, सेब के बागान, ट्रैकिंग
मुख्य आकर्षणहाटू पीक (Hatu Peak), स्कीइंग स्लोप्स, तनी जुब्बर झील
बर्फबारी का समयदिसंबर से फरवरी
आने का सर्वोत्तम समयमार्च से जून (ग्रीष्मकाल), दिसंबर से फरवरी (सर्दियों में बर्फबारी के लिए)
कैसे पहुँचेसड़क मार्ग से शिमला होते हुए, निकटतम रेलवे स्टेशन: शिमला; निकटतम हवाई अड्डा: जुब्बरहट्टी (शिमला एयरपोर्ट)

9. पराशर झील (himachal pradesh paryatan sthal)

पराशर झील (Parashar Lake) हिमाचल प्रदेश के मंडी ज़िले में स्थित एक शांत और सुंदर झील है, जो समुद्र तल से लगभग 2,730 मीटर (8,960 फीट) की ऊँचाई पर बसी है। यह झील अपने आध्यात्मिक महत्व, रहस्यमयी तैरते टापू (floating island) और चारों ओर फैली हिमालयी पहाड़ियों के अद्भुत दृश्य के लिए प्रसिद्ध है।

विषयविवरण
स्थितिमंडी ज़िला, हिमाचल प्रदेश
ऊंचाई2,730 मीटर (8,960 फीट)
प्रसिद्ध के लिएतैरता टापू (Floating Island), पराशर ऋषि मंदिर, ट्रैकिंग
धार्मिक महत्वमाना जाता है कि इस झील की स्थापना पराशर ऋषि ने की थी, और यहीं उन्होंने तपस्या की थी
मुख्य आकर्षण13वीं शताब्दी का त्रि-स्तरीय लकड़ी का मंदिर (पराशर ऋषि मंदिर), हिमालय का 360° व्यू, झील का तैरता द्वीप
कैसे पहुँचेमंडी से लगभग 50 किमी दूरी; सड़क मार्ग से वाहन जाते हैं, अंतिम कुछ किलोमीटर ट्रैक भी किया जा सकता है
सर्वोत्तम समयअप्रैल से जून और सितंबर से नवंबर; सर्दियों में बर्फबारी देखने के लिए दिसंबर से फरवरी भी बढ़िया समय है

10. रिवालसर

रिवालसर (Rewalsar), हिमाचल प्रदेश के मंडी ज़िले में स्थित एक आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और प्राकृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थल है। यह स्थान हिंदू, बौद्ध और सिख धर्मों के अनुयायियों के लिए पवित्र माना जाता है। यहाँ एक झील (रिवालसर झील) है, जिसे ‘त्रिधर्मीय तीर्थस्थल’ भी कहा जाता है।

विषयविवरण
स्थितिमंडी जिला, हिमाचल प्रदेश
ऊंचाईलगभग 1,360 मीटर (4,460 फीट)
प्रसिद्ध के लिएरिवालसर झील, धार्मिक स्थल (हिंदू, बौद्ध, सिख), पद्मसंभव गुफा और मूर्ति
धार्मिक महत्वपद्मसंभव (गुरु रिंपोछे) की तपस्थली; सिख गुरु गोबिंद सिंह जी का आगमन
कैसे पहुँचेंमंडी से 24 किमी दूर, सड़क मार्ग से आसानी से पहुँचा जा सकता है
सर्वोत्तम समयमार्च से जून, और सितंबर से नवंबर

11. डलहौजी (himachal pradesh paryatan sthal)

डलहौजी (Dalhousie) हिमाचल प्रदेश का एक प्रसिद्ध पहाड़ी पर्यटन स्थल है, जो अपनी औपनिवेशिक वास्तुकला, हरियाली, शांति, और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए जाना जाता है। यह स्थान समुद्र तल से करीब 1,970 मीटर (6,460 फीट) की ऊँचाई पर स्थित है और 19वीं शताब्दी में ब्रिटिश वायसरॉय लॉर्ड डलहौजी के नाम पर बसाया गया था।

विषयविवरण
स्थितिचंबा ज़िला, हिमाचल प्रदेश
ऊंचाईलगभग 1,970 मीटर (6,460 फीट)
स्थापना वर्ष1854 (ब्रिटिश काल में)
प्रसिद्ध के लिएऔपनिवेशिक इमारतें, हिल स्टेशन, ट्रेकिंग, प्राकृतिक नज़ारे, शांत वातावरण
कैसे पहुँचेसड़क मार्ग से पठानकोट से 80 किमी; निकटतम रेलवे स्टेशन: पठानकोट; निकटतम हवाई अड्डा: कांगड़ा या पठानकोट
सर्वोत्तम समयमार्च से जून (गर्मी), अक्टूबर से दिसंबर (सर्दी)

12. कसौली

कसौली (Kasauli) हिमाचल प्रदेश के सोलन ज़िले में स्थित एक छोटा लेकिन बेहद शांत और सुरम्य हिल स्टेशन है। यह समुद्र तल से लगभग 1,800 मीटर (5,900 फीट) की ऊँचाई पर स्थित है और खासतौर पर अपने ब्रिटिशकालीन भवनों, पाइन और देवदार के जंगलों, और शांत वातावरण के लिए प्रसिद्ध है। यह शिमला और चंडीगढ़ के बीच एक आदर्श वीकेंड डेस्टिनेशन माना जाता है।

विषयविवरण
स्थितिसोलन ज़िला, हिमाचल प्रदेश
ऊंचाईलगभग 1,800 मीटर (5,900 फीट)
स्थापना1842 में ब्रिटिशों द्वारा
प्रसिद्ध के लिएहेरिटेज वॉक, प्राकृतिक सुंदरता, शांत हिल स्टेशन, औपनिवेशिक वास्तुकला
निकटतम शहरचंडीगढ़ (60 किमी), शिमला (77 किमी)
कैसे पहुँचेसड़क मार्ग से आसानी से; निकटतम रेलवे स्टेशन: कालका; निकटतम एयरपोर्ट: चंडीगढ़
सर्वोत्तम समयमार्च से जून और सितंबर से नवंबर

13. मशोबरा (himachal pradesh paryatan sthal)

Mashobra हिमाचल प्रदेश के शिमला ज़िले में स्थित एक शांत और सुरम्य हिल स्टेशन है, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता, ऐतिहासिक महत्व और समृद्ध वन्यजीव संपदा के लिए जाना जाता है। यह शिमला से लगभग 12 किमी दूर स्थित है और समुद्र तल से लगभग 2,150 मीटर (7,050 फीट) की ऊँचाई पर बसा है।

मशोबरा का इतिहास अंग्रेजो से जुड़ा हुआ है | बरीश अधिकारी अपनी गर्मी की छुट्टी यही बिताते थे | इसका उल्लेख कई ऐतिहासिक दस्ताबेज में भी मिलता है | ब्रिटिश गवर्नर-जनरल का ग्रीष्म कालीन निवेश स्ताहन भी यही हुआ करता था |

मशोबरा में घूमने के प्रमुख स्थल

भोजन: स्थानीय हिमाचली व्यंजन।
ठहरने का स्थान: रिसॉर्ट, होटल।
घूमने की अवधि: 1-2 दिन
सर्वोत्तम समय: अप्रैल से जून और सितंबर से नवंबर
कैसे पहुंचे: शिमला से सड़क मार्ग।
निकटवर्ती स्थल: शिमला, कुफरी

14. ज्वाला देवी मंदिर (himachal pradesh paryatan sthal)

ज्वाला देवी मंदिर हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा ज़िले के ज्वालामुखी कस्बे में स्थित एक प्रसिद्ध हिन्दू शक्तिपीठ है। यह मंदिर देवी ज्वाला की पूजा के लिए समर्पित है, जो देवी दुर्गा के नौ रूपों में से एक मानी जाती हैं।

मंदिर का विशेष आकर्षण यहाँ से निकलने वाली प्राकृतिक ज्वालाएँ हैं, जो बिना किसी बाहरी ईंधन के निरंतर जलती रहती हैं। ज्वाला देवी मंदिर भारत के 51 शक्तिपीठों में से एक है। मान्यता है कि यहाँ देवी सती की जीभ गिरी थी, जब भगवान शिव उनके मृत शरीर को लेकर तांडव कर रहे थे। इस स्थान पर देवी की जीभ के गिरने के कारण यहाँ प्राकृतिक अग्नि प्रकट हुई, जिसे देवी की उपस्थिति माना जाता है।

मंदिर का पुनर्निर्माण राजा भूमिचंद कटोच ने करवाया था, जिन्हें देवी ने स्वप्न में मंदिर निर्माण का आदेश दिया था। 1835 में, पंजाब के महाराजा रणजीत सिंह और हिमाचल के राजा संसारचंद ने इस मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया, जिससे हिंदू और सिख दोनों ही समुदायों में इस मंदिर के प्रति आस्था बढ़ी।

भोजन: मंदिर के आसपास स्थानीय भोजन।
ठहरने का स्थान: गेस्ट हाउस, धर्मशाला।
घूमने की अवधि: 1 दिन
सर्वोत्तम समय: पूरे वर्ष
कैसे पहुंचे: कांगड़ा से सड़क मार्ग।
निकटवर्ती स्थल: धर्मशाला, मैक्लोडगंज

15. त्रियुंड ट्रेक (himachal pradesh paryatan sthal)

त्रियुंड ट्रेक हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला और मैक्लोडगंज के पास स्थित एक प्रसिद्ध और आसान हिमालयी ट्रेक है। यह ट्रेक शुरुआती ट्रैकर्स, परिवारों और सप्ताहांत यात्रियों के लिए आदर्श है, जो बर्फ से ढकी धौलाधार पर्वत श्रृंखला और कांगड़ा घाटी के मनोरम दृश्य देखना चाहते हैं।

अगर आपको ट्रैकिंग करनी है तो आप ट्रैकिंग के लिए प्रशिद्ध स्थान त्रियुंड ट्रेक में जाये | इस ट्रैकिंग की खाशियत है इसके पूर्व में खनियारा, चामुंडा, पालमपुर दिखाई देता है, तो उत्तर में विशाल धौलाधार पर्वत खड़ा है. वहीं दक्षिण में धर्मशाला, कांगड़ा, शाहपुर व ब्यास नदी व पौंग डैम दिखता है, तो पश्चिम में गुणा माता व घेरा की पहाड़ियां दिखाई देती हैं | यह स्थान ट्रेक के लिए ही जाना जाता है | यह धर्मशाला से 19-20 किलो मीटर की दूरी पर है |

भोजन: होमस्टे और कैफे में।
ठहरने का स्थान: होमस्टे, कैंपिंग।
घूमने की अवधि: 1-2 दिन
सर्वोत्तम समय: मार्च से जून और सितंबर से नवंबर
कैसे पहुंचे: मैक्लोडगंज से पैदल या टैक्सी।
निकटवर्ती स्थल: धर्मशाला, मैक्लोडगंज

16. कुथार किला

कुथार किला हिमाचल प्रदेश के सोलन ज़िले में स्थित एक ऐतिहासिक किला है, जिसका इतिहास लगभग 800 वर्ष पुराना है। यह किला कुत्थार क़स्बे में, शिमला से लगभग 52 किमी की दूरी पर और सोलन से 33.5 किमी की दूरी पर स्थित है। कुथार किला एक प्रमुख पर्यटन स्थल है, जो अपनी वास्तुकला, इतिहास और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए जाना जाता है |

भोजन: आसपास के होटल में।
ठहरने का स्थान: शिमला में।
घूमने की अवधि: 1-2 घंटे
सर्वोत्तम समय: अप्रैल से सितंबर
कैसे पहुंचे: शिमला से सड़क मार्ग।
निकटवर्ती स्थल: शिमला

17. सोलांग वैली (himachal pradesh paryatan sthal)

सोलांग वैली, जिसे “स्नो प्वाइंट” भी कहा जाता है, मनाली से लगभग 13 किमी दूर स्थित एक प्रमुख पर्यटन स्थल है। यह घाटी अपने रोमांचक साहसिक खेलों, बर्फीले दृश्यों और प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है। यह एडवेंचर स्पोर्ट्स का केंद्र है।

सोलांग वैली हिमाचल प्रदेश में कुल्लू घाटी के शीर्ष पे बसा हुआ है |  सोलंग वैली में यह घाटी ब्यास कुंड और सोलंग गाँव के बीच मनाली से रोहतांग दर्रे के रास्ते में पड़ती है। सोलांग में भरी मात्रा में पर्यटक आते हैं | यहां आप पैराग्लाइडिंग, पैराशूटिंग, घुड़सवारी से लेकर मिनी ओपन जीपों की सवारी विशेष रूप से कर सकते हैं | सर्दियों के दौरान जब यह घाटी बर्फ से ढकी हुई होती है तो इस दौरान स्कीइंग यहां एक लोकप्रिय खेल है।

भोजन: स्थानीय और कैफे।
ठहरने का स्थान: रिसॉर्ट, होमस्टे।
घूमने की अवधि: 1-2 दिन
सर्वोत्तम समय: मार्च से जून और सितंबर से नवंबर
कैसे पहुंचे: मनाली से सड़क मार्ग।
निकटवर्ती स्थल: मनाली, रोहतांग पास

18. पालमपुर

पालमपुर, हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित एक खूबसूरत हिल स्टेशन है, जो अपनी चाय बगानों, बर्फ से ढकी धौलाधार पर्वत श्रृंखला और शांत वातावरण के लिए प्रसिद्ध है। पालमपुर कांगड़ा घाटी में स्थित है, जो शिमला से लगभग 208 किमी, धर्मशाला से 35 किमी और पठानकोट से 112 किमी दूर है। पालमपुर को टी सिटी भी कहते हैं |

भोजन: हिमाचली व्यंजन।
ठहरने का स्थान: होटल, रिसॉर्ट।
घूमने की अवधि: 1-2 दिन
सर्वोत्तम समय: पूरे वर्ष
कैसे पहुंचे: कांगड़ा हवाई अड्डा, सड़क मार्ग।
निकटवर्ती स्थल: धर्मशाला, कांगड़ा

19. बीड़

बीड़, जिसे आधिकारिक रूप से बीड़-बिलिंग के नाम से जाना जाता है, हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित एक प्रमुख पर्यटन स्थल है। यह स्थान विशेष रूप से अपने साहसिक खेलों, विशेषकर पैराग्लाइडिंग के लिए प्रसिद्ध है। कुल्लू घाटी का एक खूबसूरत गांव है |

भोजन: स्थानीय भोजन।
ठहरने का स्थान: होमस्टे।
घूमने की अवधि: 1 दिन
सर्वोत्तम समय: अप्रैल से जून और सितंबर से नवंबर
कैसे पहुंचे: कुल्लू से सड़क मार्ग।
निकटवर्ती स्थल: कुल्लू, मनाली

20. कमरुनाग झील

कमरुनाग झील, हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के करसोग घाटी में स्थित एक प्रमुख धार्मिक और पर्यटन स्थल है। यह झील समुद्र तल से लगभग 3,334 मीटर (10,935 फीट) की ऊँचाई पर स्थित है और देवदार के घने जंगलों से घिरी हुई है, जो इसे प्रकृति प्रेमियों के लिए आकर्षक बनाती है।

कमरुनाग झील की अपनी धार्मिक आस्था के लिए भी लोग मानते है | और इस झील को सोना, चांदी चढ़ता है | यह झील खजानो की झील है | कहा जाता है इस खजाने की रक्षा दैविक शक्तिया करती हैं |

भोजन: स्थानीय भोजन।
ठहरने का स्थान: पास के गांवों में होमस्टे।
घूमने की अवधि: 1-2 दिन
सर्वोत्तम समय: जुलाई से सितंबर
कैसे पहुंचे: मनाली से ट्रेकिंग द्वारा।
निकटवर्ती स्थल: मनाली, सोलांग वैली[3]

हिमाचल प्रदेश यात्रा के लिए सुझाव

सर्वोत्तम समय: मार्च से जून और सितंबर से नवंबर के बीच मौसम सुहावना रहता है।

भोजन: हिमाचली भोजन के साथ-साथ तिब्बती, पंजाबी और कॉन्टिनेंटल व्यंजन उपलब्ध हैं।

ठहरने के विकल्प: होटल, रिसॉर्ट, होमस्टे, और कैंपिंग।

कैसे पहुंचे: शिमला, धर्मशाला, भुंतर (मनाली के नजदीक) हवाई अड्डे; सड़क मार्ग से अच्छी कनेक्टिविटी।

निष्कर्ष

हिमाचल प्रदेश के ये 20 पर्यटन स्थल न केवल प्राकृतिक सौंदर्य में बेजोड़ हैं, बल्कि इतिहास, संस्कृति और आध्यात्मिकता का भी अद्भुत संगम प्रस्तुत करते हैं। अपनी यात्रा की योजना बनाकर आप इन स्थलों की सैर कर सकते हैं और जीवनभर के लिए यादगार अनुभव प्राप्त कर सकते हैं।

FAQ

मनाली की सोलांग घाटी क्यों हर पर्यटक का पसंदीदा स्थान है?

Ans. Himachal Pradesh paryatan sthal: सोलांग घाटी मनाली का सबसे पसंदीदा पर्यटन स्थल इसलिए है क्योंकि यहाँ बर्फ से ढके पहाड़ों और शानदार ग्लेशियरों के मनमोहक दृश्य मिलते हैं, जो हर मौसम में पर्यटकों को आकर्षित करते हैं| सर्दियों में घाटी पूरी तरह बर्फ से ढक जाती है, जिससे यह जगह किसी फिल्मी स्वर्ग जैसी लगती है और स्कीइंग, स्नोबोर्डिंग, स्लेजिंग जैसे विंटर स्पोर्ट्स का आनंद लिया जा सकता है | गर्मियों में यहाँ पैराग्लाइडिंग, ज़ोरबिंग, माउंटेन बाइकिंग, घुड़सवारी, रॉक क्लाइम्बिंग जैसी रोमांचक गतिविधियाँ होती हैं, जो एडवेंचर प्रेमियों के लिए इसे जन्नत बना देती हैं|
सोलांग घाटी की प्राकृतिक सुंदरता, साफ नीला आसमान, बर्फीली चोटियाँ और हरे-भरे देवदार के जंगल हर यात्री को मंत्रमुग्ध कर देते हैं|

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